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Raviranveera

रवि कुमार गुप्ता

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पुस्तक के भाग

1

क्या है आजादी और कौन हैं राष्ट्रवादी ( कविता)

7 मार्च 2016
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आजादी से पहले विचार करो देशभक्त बनने की होङ नहीं थी राष्ट्रवादी कहलाने की जोर नहीं थी, अगर ऐसा होता तो सोचों सब के सब देशभक्त बने बैठे होते किसी कहीं कोने में बस रट लगाएँ हम हैं राष्ट्रभक्त, हम हैं राष्ट्र के भक्त, और आजाद ना होते अभी तक तो फिर ना कोई अधिकार ना ही कोई राष्ट्रीय त्योहार, तो फिर सोचों

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मैं जननी हूँ(कविता)

10 मार्च 2016
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वो सुबह कितनी हसीन होगी वो शाम कितनी रंगीन होगी जब मैं आँगन में तेरे नन्हीं सी कली बन खिली होगी कोई रानी तो कोई रौशनी कहकर कोई बेटी तो कोई बाबु कहकर और जाने क्या - क्या कहकर सब प्यार से बुलाते होंगे, पापा, पर अब क्या हो गया आपका प्यार क्यों खो गया आप ना जाने क्यों गुमशुम है क्योंकि मैं अब बङी हो गई

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गूँगे की गूंज

10 मार्च 2016
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"शिरकत ही तुम कि इस कदर, हर हरकत मेरी शरारत करने लगी, तुम मानो या मानों, तेरे इंतजार में घङीयाँ वक्त से तेज चलने लगी " कितनी मोहब्बत करता हूँ, यह मैं बता नहीं सकता क्योंकि मेरे जैसे गूँगे की दिल की भाषा तो तुम बिन बोले ही समझ गई तो फिर और मैं क्या बताऊँ कि मैं कितनी मोहब्बत करता हूँ. हम एक-दूसरे को

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