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भाग 1

20 सितम्बर 2022

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"अरे विजय, आज तो बहुत दिनों बाद आया है यार । कहां रहता है आजकल" ? रोहित ने अपने जिगरी दोस्त विजय को देखकर कहा 
"आजकल दिल्ली में एक जॉब करने लगा हूं । कल ही आया हूं यहां पर । आज तुझसे मिलने आ गया । बता कैसा है मेरा यार" ? 
"क्या बताऊं यार तुझे ? जैसा पहले था वैसा ही अब हूं । कुछ नहीं बदला है यार । वही नीरस सी जिंदगी । सुबह आकर दुकान खोलो । दिन भर गधे की तरह लगे रहो । रात को घर जाओ और खाना खाकर सो जाओ । बस, यही है जिंदगी । ऐसी जिंदगी की तो कल्पना नहीं की थी यार कभी । पर क्या करें ? किसे दोष दें ? पता नहीं भगवान ने मुझसे कौन सी दुश्मनी निकाली है जो मेरी जिंदगी में रोमांस का कोई चैप्टर ही नहीं रखा । साला 35 साल का हो गया हूं । ना तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड है और ना ही कोई बीवी । अब तो शायद शादी के चांस भी खत्म हो गये लगते हैं । पता नहीं सूरत बुरी है या सीरत ? कोई घास ही नहीं डालती है साली । किससे शिकवा करें और किससे शिकायत ? अब तो इस बारे में मैंने सोचना ही छोड़ दिया है यार । और तू बता तेरा दिल्ली में कोई टांका भिड़ा या नहीं" ? 
"अरे कहां यार ? अपना नसीब भी तेरे जैसा ही है । पता नहीं लोगों को तीन तीन चार चार गर्लफ्रेंड और बीवियां कैसे मिल जातीं हैं यार ? यहां तो एक के भी लाले पड़ रहे हैं" । 
"साले, इतने बड़े शहर में भी तू छड़ा का छड़ा ही रहा । हम तो सोच रहे थे कि तेरा "जुगाड़" तो हो ही जायेगा । पर तू भी मेरे जैसा ही निकला"  । 
"हां यार, हम भी तंग आ गये हैं इस अकेलेपन से । काश,  कोई "चून" की ही लुगाई होती ? कम से कम उससे दिल की भड़ास तो निकाल लेते ? मगर साली वो भी नहीं है यहां तो" । 
"सुना है आजकल प्लास्टिक की लड़की आने लगीं हैं जो आदमी को वह सब सुख दे जाती हैं जो उसे चाहिए । तूने देखी है क्या कोई ऐसी लड़की" ? 
"नहीं यार । मैंने तो सुनी भी नहीं है । पर मेरा एक दोस्त है दिल्ली में । अभी अभी बना है । वह एक दिन बता रहा था कि एक जगह है जहां एक रात के लिए 1000 रुपए में एक लड़की मिल जाती है । हालांकि मैं कभी मिला नहीं हूं किसी लड़की से । बस सुना है" 
"सच में ! ये तो बहुत बढिया खबर सुनाई है तूने , यार । वाकई ऐसा है क्या या तू झूठ बोल रहा है" ? रोहित चहकते हुए बोला 
"मुझे पता नहीं है यार । मैं तो बस सुनी सुनाई बात बता रहा हूं बस । दिलीप, मेरा दोस्त बता रहा था एक दिन इस बारे में " 
"और क्या बता रहा था वह" ? 
"और तो कुछ नहीं बताया उसने । बस यही कह रहा था कि ऐसी बहुत सी लड़कियां भरी पड़ी हैं दिल्ली में । बस पैसा होना चाहिए । जिसके पास पैसा है उसको लड़कियों की क्या कमी है" ? 
"यार एक बात बता ? कंगाल तो हम भी नहीं हैं और शक्ल सूरत भी इतनी खराब नहीं है , फिर हमारी ही शादी क्यों नहीं हुई" ? 
"इस प्रश्न का उत्तर तो बस भगवान जी ही दे सकते हैं कि उन्होंने हमारी कुण्डली में "कन्या" योग क्यों नहीं रखा ? पर तू कहे तो एक रात का इंतजाम करवाऊं क्या" ? 
"सच में ? क्या तू करवा सकता है" ? 
"उससे बात करके देखते हैं । फिर बताता हूं" । विजय जाने लगा । 
"अरे, जाता कहां है साले ? मेरे सामने ही बात कर उससे" । 
"बड़ी जल्दी मच रही है साले तुझे ? नींद नहीं आती है क्या आजकल" ? 
"नहीं , वो बात नहीं है यार । नींद तो लेटते ही आ जाती है । पर आज तूने आग भड़का दी है तो आज तो नहीं आयेगी नींद । आज तो मेनका, उर्वशियों के ही सपने आयेंगे,  साले । चल, बात कर उससे" । रोहित उतावला हो रहा था । 

विजय ने दिलीप को फोन मिलाया और हाय हैलो के बाद "सीधी बात नो बकवास" स्टाइल में अपनी बात रख दी । दिलीप ने कहा "जब चाहे जितनी ले लो । एक से बढकर एक ले लो । बताओ, कब चाहिए" ? 
रोहित ने हिसाब लगाया । उसकी दुकान की छुट्टी अमावस को रहती है । उससे एक दिन पहले की रात ठीक रहेगी । रात्रि जागरण होगा तो दूसरे दिन आराम करने को भी मिल जायेगा । दोनों का प्रोग्राम बन गया । विजय ने फोटोग्राफ भी मंगवा लिये । रोहित को एक लड़की पसंद आ गई । उसकी आंखें बहुत मासूम सी थी । विजय ने दूसरी लड़की पसंद की । थोड़ी देर में दिलीप का फोन आ गया । उसने कहा कि वो मासूम सी आंखों वाली लड़की एक रात के 5000 रुपए लेती है । 
अब तो पेच फंस गया । 5000 रुपए तो बहुत होते हैं । फिर आने जाने में , दारू शारू,  खाने पीने के लिए भी कम से कम 5000 रुपए और चाहिए । इसलिए उसने मना कर दिया । विजय ने कहा "बड़ी मुश्किल से तो साले तेरे मन में कोई ख्वाहिश पनपी है और तू महज 4000 रुपए के लिए अपनी ख्वाहिशों की बलि देने पर तुला है । चल, हां कर" । विजय ने अधिकार पूर्वक कहा । 

रोहित ने सहमते झिझकते हुए हां कह दी । दोनों के लिए  एक एक लड़की बुक हो गई । 

अमावस से एक दिन पहले दोनों दोस्त एक किराये की कार से दिल्ली पहुंच गये । कार को विजय के मकान पर ही छोड़ दिया । कार को इसलिए नहीं ले गये कि ड्राइवर को पता नहीं चले । नहीं तो उसे पता चल सकता था कि वे कहां गये थे और वह गांव में सबको बता देता फिर । फिर उसकी इज्जत का फालूदा बन जाता गांव में । टैक्सी में जाने से किसी को कोई पता नहीं चलेगा । 

तीनों दोस्तों ने खूब दारू पी । मनपसंद खाना खाया । इन सबका पैसा रोहित ने ही दिया । आज उसकी मन की मुराद पूरी होने वाली थी , इसलिए । बड़ा खुश लग रहा था वह । 

तीनों लड़कियां एक ही भवन में रहती थीं । दरअसल यह एक पूरी सोसायटी थी जिसके सारे फ्लैट एक ही आदमी ने एक एक करके खरीद लिए थे । अब उसमें उसने वेश्यावृति का धंधा शुरु कर दिया था । हर लड़की को एक एक फ्लैट दे रखा था । एक कमरे में वह रहती थी और दूसरे में अपना "पेशा" चलाती थी । डील मालिक ही करता था और आधे पैसे वह लड़कियों को दे देता था । फ्लैट का भी कोई किराया नहीं लेता था । सब लड़कियां बड़ा आदर करती थी मालिक का । कोई जोर जबरदस्ती का काम नहीं था । मन मर्जी का सौदा था । करना है करो नहीं तो चले जाओ । पर एक भी लड़की आज तक गई नहीं थी यहां से  । 

रोहित धड़कते दिल से पूनम के फ्लैट में दाखिल हुआ । वह सिर से लेकर पांव तलक थर थर कांप रहा था । उसकी यह हालत देखकर पूनम बहुत जोर से हंसी "साले, पहली बार आया है क्या किसी कोठे पर" ? 

उपहास उड़ाने वाली आवाज सुनकर रोहित और शरमा गया और वह वहीं जड़वत खड़ा रह गया । उसकी इस हालत पर पूनम और जोर से हंसी "साले , जब तू इतना ही शरमाता है तो यहां क्या "पूजा" करने आया है ? चल , फटाफट अपना काम कर और दफा हो जा यहां से" । लगभग चीखते हुए पूनम बोली 

रोहित को बड़ा अपमान सा लगा था यहां पर । एक तो उसने मुंहमांगा दाम दिया है और ऊपर से गाली गलौज भी कर रही है । उसे अगर पता होता कि यहां पर  इतना अपमानित होना पड़ेगा तो वह यहां कभी भूल कर भी नहीं आता । मगर उस दिन पता नहीं उसे क्या हुचंग छूटी जो उसने ऐसा प्रस्ताव दे दिया । पर अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ? रोहित शर्म से गड़कर रह गया था । 

रोहित की हालत देखकर पूनम को अपनी गलती का अहसास हुआ । रोहित एक ग्राहक है और ग्राहक बाजार का राजा होता है । अगर वह इस तरह बाजार के राजाओं को जलील करेगी तो उसके पास कौन आयेगा ?  वह तो एक रात के 5000 रुपए लेती है जबकि हजार रुपए में भी तो "माल" मिल ही रहा है ना । वो कोई उससे कम हैं क्या ? ये तो उसकी आंखों का कमाल है जो लोग उस पर मरते हैं । वरना तो और सामान सबका एक जैसा ही है । 

पूनम रोहित के पास आई और उसने हाथ जोड़कर अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी । रोहित को पहले वाला व्यवहार भी अचंभित करने वाला लगा था और यह भी लग रहा था । वाकई रोहित एक मासूम लड़का था । एकदम भोलाभाला और नेक दिल । दुनियादारी से कोसों दूर था वह । इस तरह पूनम के अचानक "देवी अवतार" ने उसके दिल पर गहरा प्रहार किया । सुहानुभूति के दो बोल सुनकर उसका हृदय द्रवित हो गया और उसकी रुलाई फूट पड़ी । पूनम ने कभी ऐसा दृश्य देखा नहीं था । यहां तो जो भी आता था पूनम को एक "माल" समझ कर ही आता था और वह एक उपभोक्ता की तरह अपने पैसे अधिकतम "वसूलने" में ही लगा रहता था । इस तरह किसी मासूम आदमी से उसका पाला पहले कभी पड़ा ही नहीं था । इसलिए वह रोहित को रोते देखकर घबरा गई । उसे याद आया कि पहले तो वह रोती थी और ग्राहक अट्टहास कर के हंसता था मगर आज उल्टा हो रहा था । 

पूनम दौड़कर किचन से एक गिलास पानी ले आई और रोहित को देना चाहा । मगर रोहित इस हालत में ही नहीं था कि वह उसे पकड़ सके । पूनम ने अपने हाथ से ही उसे एक दो घूंट पानी पिलाया और गिलास वहीं पर रख दिया । रोहित की रुलाई अभी बंद नहीं हुई थी । पूनम ने उसका सिर अपनी गोदी में रख लिया और उसके बालों में धीरे धीरे उंगलियां फिराने लगी । रोहित को कब नींद आ गई,  उसे पता ही नहीं चला । 

एक दो घंटे बीत जाने पर पूनम को पता चला कि रोहित उसकी गोदी में सिर रखकर सो गया है । वह उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी । इसलिए वह ऐसे ही बैठी रही और उसके बालों में हाथ फिराती रही । 

करीब तीन बजे रोहित की नींद खुली तो वह हड़बड़ाकर जागा । उसने देखा कि वह पूनम की गोदी में सिर रखकर लेटा हुआ है । उसे बहुत सुकून मिल रहा था । ऐसा स्पर्श उसे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था । वह इस आनंद में और डूबना चाहता था इसलिए उसने फिर से आंखें बंद कर ली । 

पूनम को पता चल गया था कि रोहित जग गया है । वह अब यह सोच रही थी कि रोहित अब वह "काम" करेगा जिसके लिए वह यहां आया है । लेकिन जब उसने देखा कि रोहित तो आंखें बंद कर फिर से सो गया है तो उसे वाकई रोहित पर प्यार आ गया । उसने अब पहली बार रोहित के चेहरे को गौर से देखा । कितना मासूम चेहरा था उसका । बिल्कुल एक मासूम बच्चे की तरह । वह उसे और नजदीक से देखना चाहती थी इसलिए अपना चेहरा रोहित के चेहरे के और नजदीक ले आई । पूनम की सांसें रोहित की सांसों से टकराने लगीं । पूनम के अंदर की लड़की जो अब तक मर चुकी थी, जागने लगी । उसने रोहित को सोता हुआ समझ कर उसके गाल पर अपने अधर रख दिये और एक हल्का सा "किस" कर लिया । इस अप्रत्याशित घटना से रोहित हड़बड़ाकर उठ बैठा । अब अपने कृत्य पर पूनम घबरा गई थी और वह भो एक झटके के साथ रोहित से अलग होकर दूर खड़ी हो गई थी । 

कमरे में गहरा सन्नाटा व्याप्त था । किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहे थे । पूनम नीची गर्दन किये खड़ी थी । रोहित ने हिम्मत करके उसे देखा । पूनम के चांद की तरह हसीन थी पूनम । पता नहीं कौन उसके जीवन में राहू बनकर आया था जिसके कारण उसकी जिंदगी में सिर्फ अमावस की रात रह गई थीं । उसकी आंखें बहुत बड़ी बड़ी थीं । एकदम मृगनयनी जैसी । न जाने कैसा जादू था उन आंखों में कि एक बार जो भी उन्हें देख लेता , बस उन्हीं का होकर रह जाता था । गजब की सम्मोहिनी शक्ति थी उन आंखों में । 
दोनों ऐसे ही खड़े खड़े एक दूसरे को देखते रहे । पूनम किंकर्तव्यविमूढ थी कि क्या करे क्या न करे ? उसे ध्यान आया कि रोहित यहां एक खास मकसद से आया था और अभी तक उसका मकसद पूरा नहीं हुआ है । उसने सोचा कि रोहित किसी कोठे पर पहली बार आया है इसलिए वह हिचकिचा रहा है । बहुत सोच विचार कर उसने निश्चय किया कि जिस आनंद की तलाश में रोहित वहां आया था, वह उसे अवश्य देगी । रोहित कुछ नहीं कह रहा है, कर रहा है तो क्या हुआ , वह पहल करेगी । 

यह सोचकर पूनम अपनी साड़ी उतारने लगी । रोहित चुपचाप खड़ा उसे साड़ी उतारते हुए देख रहा था । उसे भी आश्चर्य हो रहा था कि पूनम ऐसा क्यों कर रही है ? दिलीप ने इसकी अच्छा खासी ट्रेनिंग दी थी आज ही । मगर वह सब कुछ भूल गया था । जब तक वह अपने विचारों के दायरे से बाहर आता तब तक पूनम साड़ी उतार चुकी थी और ब्लाउज उतार रही थी । यह देखकर रोहित तुरंत आगे बढा और उसे मना करते हुए कहने लगा "मत उतारो, मत उतारो" 

पूनम का आश्चर्य और बढ गया था । एक आदमी जो "लुटेरों" की तरह आया था अब वह उसकी इज्जत का "संरक्षक" बन गया है । आदमी में किस तरह बदलाव आता है, रोहित इसका साक्षात उदाहरण था । 

पूनम ने घबराकर रोहित की ओर देखा । वहां वासना नहीं थी बल्कि शर्मिन्दगी थी । पूनम ने ब्लाउज फिर से पहन लिया और साड़ी उठाते हुए रोहित की ओर इस प्रकार देखा कि जैसे पूछ रही हो "इसे पहनूं या नहीं" ? और रोहित ने आंखों से ही कह दिया "पहन लीजिए" । और पूनम धीरे धीरे साड़ी पहनने लगी । फिर दोनों सोफे पर बैठ गए । 

पूनम ने देखा कि सुबह के पांच बजने वाले हैं । बस , दिन निकलने ही वाला है तो वह कुछ सोचकर उठी और पर्स में से 5000 रुपए निकाल कर रोहित को देते हुए बोली "जब आपने कुछ किया ही नहीं तो फिर पैसे किस बात के" ? 

उसकी इन बातों से रोहित बुरी तरह से चौंका । एक वेश्या पैसे भी लौटा सकती है , यह तो कल्पना के बाहर की बात थी । रोहित ने मना करते हुए कहा "आपकी रात तो खराब हुई है ना । ये उसी के पैसे हैं । रख लीजिए इन्हें अपने पास" 
"मगर मैं इन्हें अपने पास कैसे रख सकती हूं ? इन पर मेरा कोई अधिकार नहीं है" । 

दोनों में बहस होने लगी । आखिर रोहित जीत गया । पूनम ने वे पैसे अपने पास रख लिये । पूनम ने कहा "आप फिर किसी दिन आ जाइएगा और अपना "काम" करके चले जाइएगा । उस दिन का पैसा नहीं लगेगा आपका । अब ठीक है" ? 
"नहीं, ठीक नहीं है ये । मैं जब पुन: आऊंगा तब तुम्हें फिर से अपना पारिश्रमिक लेना होगा । पर तुम ऐसा क्यों सोचती हो कि मैं दोबारा आऊंगा ही" 
"नहीं, मैं सोच नहीं रही हूं , आपको बुला रही हूं । मेरे मन में एक अपराध बोध सा है , बस उसी के कारण आपसे यह कह रही हूं । क्या आप आयेंगे" ? 

रोहित काफी देर क सोचता रहा फिर बोला "ये बात कहने से पहले मैं तो निश्चिंत था कि मैं यहां क्या किसी कोठे पर अब कभी नहीं जाऊंगा । मगर तुम्हारे इन शब्दों ने जादू का सा काम किया है । अब मैं भी एक बार और यहां आना चाहता हूं" । 
"अरे वाह ! यह तो बहुत ही अच्छा है । तो बताइए फिर कब आ रहे हैं आप" ? 

रोहित फिर काफी देर तक सोचता रहा और सिर नीचा कर कहने लगा "दरअसल बात यह है कि मैं अभी तक कुंवारा हूं । मन से भी और तन से भी । 35 वर्ष का हो गया हूं । अब शादी होने की संभावना भी लगभग नहीं है । मैं यह सोचकर यहां आया था कि शादी नहीं हुई तो कोई बात नहीं , शादी वाला आनंद तो एक बार ले लूं । मगर मेरे मन ने शायद यह गलत काम स्वीकार नहीं किया । आगे भी स्वीकार करेगा, लगता नहीं है । इसमें एक ही गुंजाइश लग रही है मुझे कि यदि आप एक दिन के लिए मेरी दुल्हन बन जाओ । उस रात दुल्हन की तरह तुम कपड़े पहने, मेकअप करो और मैं दूल्हे की तरह ही कपड़े पहनूं । तो शायद यह मन इसे स्वीकार कर ले । पर क्या तुम ऐसा कर पाओगी ? क्या तुम मेरे लिए एक रात की दुल्हन बनना स्वीकार करोगी" ? 

पूनम अवाक होकर सुनती रह गई थी । 

शेष अगले अंक में 

श्री हरि 
20.9.22 
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रचनाएँ
दुल्हन एक रातकी
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एक रोमांटिक और सस्पेंस से भरपूर कहानी
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भाग 1

20 सितम्बर 2022
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"अरे विजय, आज तो बहुत दिनों बाद आया है यार । कहां रहता है आजकल" ? रोहित ने अपने जिगरी दोस्त विजय को देखकर कहा "आजकल दिल्ली में एक जॉब करने लगा हूं । कल ही आया हूं यहां पर । आज तुझसे मिलने आ गया ।

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अंतिम भाग

21 सितम्बर 2022
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दरवाजा पूनम ने खोला । पूनम को देखकर रोहित आश्चर्य चकित हो गया । पूनम दुल्हन के लिबास में सामने खड़ी थी । लाल सुर्ख लंहगे में बहुत खूबसूरत लग रही थी वह । उसने हल्का मेकअप भी कर रखा था जो उसके हुस्न को

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भाग 2

21 सितम्बर 2022
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रोहित ने जो कहा उसे सुन पूनम भौंचक रह गई । यहां पर आने वाले लोग तो कुछ और ही फरमाइश करते हैं और ये रोहित ? इसकी फरमाइश है कि वह एक रात के लिये उसकी दुल्हन बन जाये । क्या यह संभव है ? क्या उस जैसी लड़क

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