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अंतिम भाग

21 सितम्बर 2022

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दरवाजा पूनम ने खोला । पूनम को देखकर रोहित आश्चर्य चकित हो गया । पूनम दुल्हन के लिबास में सामने खड़ी थी । लाल सुर्ख लंहगे में बहुत खूबसूरत लग रही थी वह । उसने हल्का मेकअप भी कर रखा था जो उसके हुस्न को और निखार रहा था । पूनम ने रोहित के पैर छूने चाहे तो रोहित पीछे हट गया 
"ये क्या कर रही हैं आप" ? रोहित चौंकते हुये बोला 
"अपने पति से आशीर्वाद ले रही हूं, और क्या" ? पूनम की आंखों में बनावट का कहीं कोई नामोनिशान नहीं था । 
"अरे, वह तो एक नाटक जैसा है, सचमुच का थोड़े ही है" । जैसे तैसे रोहित बोला 
"पर मैं नाटक नहीं कर रही हूं । पहले मैंने भी सोचा था कि नाटक ही तो करना है, कर लूंगी । लेकिन जबसे आपने मुझे दुल्हन वाला लंहगा , चोली दिलवाया था तब से मैं सोचने लगी कि क्या मैं वाकई दुल्हन बन रही हूं ? उस दिन मैं पहले तो निश्चय नहीं कर पा रही थी कि मुझे करना क्या है ? फिर मेरे दिल ने कहा 'पूनम, तू दुल्हन बन रही है और दुल्हन न केवल तन से बल्कि मन से भी दूल्हे की होती है । क्या तू मन से रोहित की दुल्हन बन पायेगी' ? इस प्रश्न पर मैं उस दिन बहुत सोचती रही । इतना कि रात के दस बज गये थे । उस रात की बुकिंग वाला ग्राहक बगल के कमरे में मेरा दो घंटे से इंतजार कर रहा था और उस समय मैं भंवर में हिचकोले खा रही थी । फिर मैंने अपने मन की आवाज सुनी जो कह रहा था कि दुल्हन बनने के लिये मन को भी दुल्हन बनना पड़ेगा । केवल तन से दुल्हन बनना एक छलावा है और एक मासूम व्यक्ति के साथ छलावा कर उसे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी । फिर क्या था, उसने तय कर लिया कि वह मन से भी दुल्हन बनेगी । उसने उस रात के ग्राहक से क्षमा मांग ली और उसके पैसे वापस कर दिये । उस दिन यह तय कर लिया था कि अब यह 'धंधा' और नहीं करेगी वह" । पूनम सांस लेने के लिये रुकी । 
"तुमने मेरे लिये इतना बड़ा काम किया । क्या तुम वाकई मुझे प्यार करती हो" ? 
"पता नहीं । उस समय मेरे दिमाग में प्यार व्यार जैसी कोई चीज नहीं थी । थी तो केवल दुल्हन की भूमिका जिसे मुझे मन से निभाना था । मैंने अपना निर्णय मालिक को बता दिया था कि मैं अब आगे यह 'धंधा' नहीं करूंगी । मालिक ने भी मेरे निर्णय का सम्मान किया और कहा 'जैसी तुम्हारी मर्जी' । नियम के अनुसार मुझे वह फ्लैट खाली करना था । मैंने यह फ्लैट किराये पर ले लिया और पिछले दो दिनों से मैं यहां रह रही हूं । अब मैं न केवल तन से बल्कि मन से भी आपकी दुल्हन बन गई हूं । अब आप मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं आज रात आपकी दुल्हन के तौर पर आपकी अंकशायिनी बन सकूं" । पूनम का चेहरा पूर्णिमा के चांद की तरह चमक रहा था । उसकी बड़ी बड़ी आंखें काजल से और भी बड़ी बड़ी लग रही थी । 

इस बदलाव को देखकर रोहित भावुक हो गया । उसने सोचा ही नहीं था कि एक वेश्या भी ऐसा सोच सकती है ? पूनम ने इतना कुछ सोच लिया था जो एक वेश्या कभी सपने में भी नहीं सोच सकती है । माना कि वह तन से पवित्र नहीं है लेकिन वह मन से तो पवित्र है । उसने कुन्दन की तरह खुद को आग में तपाया है और अब उसमें और निखार आ गया है । रोहित की नजरों में पूनम का कद अचानक बढ गया । उसे अब वह एक 'देवी' नजर आने लगी । पवित्रता की देवी । एक ऐसी देवी जिसके संपर्क में आने पर और भी लोग पवित्र हो सकते हैं । रोहित खुद को धन्य समझने लगा जो उसके कारण एक वेश्या का उद्धार होने जा रहा था । पर क्या पूनम सिर्फ एक रात के लिये ही दुल्हन बनेगी या वह उसकी हर रात दुल्हन की तरह सजायेगी ? 

इस प्रश्न पर रोहित ठिठक गया । बात तो एक रात के लिये ही हुई थी । क्या पूनम हमेशा के लिये उसकी होने को तैयार है ? यह लाख टके का सवाल था । रोहित आगे बढा और पूनम का चेहरा अपने दोनों हाथों में थामकर उसकी आंखों में देखकर बोला "क्या तुम मेरी हमेशा के लिए दुल्हन बनना स्वीकार करोगी पूनम" ? । रोहित की आवाज में कंपन था 

पूनम ने शायद यह अपेक्षा नहीं की थी । उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था । उसने कन्फर्म करने के लिये कहा "क्या कहा आपने" ? 
"मैंने कहा कि क्या आप हमेशा के लिये मेरी पत्नी बनना पसंद करेंगीं" ? 

यह वाक्य सुनकर पूनम की आंखों से आंसू बहने लगे । वह रोहित से चिपट गई । वाकई यह दृश्य कल्पनातीत था । न रोहित ने सोचा था और न ही पूनम ने । दोनों एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे रहे । दोनों के मन में प्रेम के अंकुर फूटने लगे । बिना प्रेम के पति पत्नी का रिश्ता भी कोई रिश्ता होता है क्या ? जो लोग प्रेम किसी और से तथा शादी किसी और से करते हैं वे सबसे अधिक धोखा स्वयं को ही देते हैं । उनका दांपत्य जीवन सबसे दुखद होता है । दांपत्य जीवन का आधार ही प्रेम और विश्वास है । प्रेम और विश्वास की नींव पर ही दांपत्य रूपी महल खड़ा होता है । सोचिये कि जिसकी नींव ही कमजोर होगी वह महल क्या सुदृढ होगा ? 

रोहित की आंखें भी गीली हो गईं थीं । आज उसके मन में भी पहली बार प्रेम का आविर्भाव हुआ था । जब उसने पहली बार पूनम का फोटो देखा था तब उसे पूनम एक "भोग्या" ही नजर आई थी । किन्तु आज वह एक गंगाजल की तरह पवित्र स्त्री नजर आ रही थी । उसने रोहित के लिये अपना धंधा भी छोड़ दिया था । फ्लैट भी छोड़ दिया था । जबकि उसे यह भी ज्ञात नहीं था कि वह उससे विवाह करेगा या नहीं । अपने भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोचा था उसने । वह कैसे अपना जीवन गुजारेगी भविष्य में, इसका कोई रोडमैप तो बनाया होगा उसने ? रोहित ने उससे इस बारे में पूछा तो वह बोली 
"उस समय मैंने इसके बारे में कुछ नहीं सोचा था । और हकीकत यही है कि आज भी नहीं सोचा है । मैं तो बस इतना जानती हूं कि जब मैं दुल्हन बन रही थी तो बस दुल्हन की पवित्रता के बारे में ही सोच रही थी । कोई भी छोटा मोटा काम कर लूंगी और अपना जीवन गुजार लूंगी, यही सोचा था । मुझ जैसी लड़की कभी पत्नी भी बन सकेगी , यह तो सपने में भी नहीं सोच सकती थी । पर मेरे कारण तुम्हारी प्रतिष्ठा धूमिल हो जायेगी । तुम्हारे घरवाले क्या मुझे स्वीकार कर पायेंगे" ? पूनम के प्रश्न वाजिब थे जिन्होंने रोहित को सोचने पर मजबूर कर दिया था । 

रोहित पलंग पर बैठ गया और उसने पूनम से कहा "क्या एक कप चाय मिलेगी" ? 
पूनम ने मुस्कुरा कर रोहित को देखा "आज तो आपकी सुहागरात है । आपके लिए एक गिलास दूध तैयार किया है मैंने । वो भी केसर वाला । कहो तो ले आऊं" ? 

रोहित ने थोड़ा सोचने के बाद कहा "नहीं, अभी तो चाय की इच्छा हो रही है । अगर चाय बना सकती हो तो बहुत मेहरबानी होगी" 
"इसमें मेहरबानी कैसी ? आज तो आप मेरे सरताज हैं । आपका हर हुक्म सिर आंखों पर है । अभी बनाकर लाती हूं चाय" और वह किचन में चाय बनाने चली गई । 

पूनम चाय बनाकर ले आई । एक कप रोहित को पकड़ा दिया और दूसरा कप खुद ने ले लिया । रोहित अपना कप पूनम के होठों के पास ले गया और बोला "एक सिप लेकर इसे मीठा बना दो, पूनम" । 
पूनम ने रोहित की आंखों में देखा । वहां प्यार का समंदर लहरा रहा था । उसने मुस्कुरा कर रोहित को देखा और एक सिप ले लिया । उसने भी अपना कप रोहित के होठों से लगा दिया और आंखों से ही प्रणय निवेदन कर लिया । रोहित ने भी एक सिप उसके कप से ले लिया । अब चाय और भी मीठी लगने लगी थी । स्वाद भी भावनाओं के अनुरूप होता है । प्रेमी प्रेमिका के होठों में शहद होता है । उनके होठों से जो कोई खाद्य या पेय सामग्री लग जायेगी, उसकी मिठास स्वत: ही बढ जायेगी । यहां भी ऐसा ही हो रहा था । 

चाय समाप्त कर पूनम ने रोहित को उसके दूल्हा वाले कपड़े दे दिये पहनने के लिए । रोहित गुमसुम सा सोचता ही रहा । पूनम बोली "अपनी ख्वाहिश पूरी कीजिए न" । 

रोहित अनमना सा बैठा रहा । उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो पूनम ने उसे छेड़ते हुए कहा "उस दिन भी आपने कुछ नहीं किया था । उस दिन मुझे दुल्हन बने देखना चाहते थे आप । इतनी सारी व्यवस्थाएं भी की । जब आज दूल्हा बनने का वक्त आया है तो आप फिर से पीछे हटते से लग रहे हैं । ऐसा क्यों" ? 

रोहित काफी देर तक सोचता रहा । फिर वह पूनम का हाथ पकड़कर बोला "उस दिन तो मैं केवल एक रात का दूल्हा बनना चाहता था । पर आज सोच रहा हूं कि एक रात का ही क्यों, हर रात का बन जाऊं तो क्या बात है ? बोलो, क्या तुम मुझसे विवाह करोगी" ? 

इस बार पूनम बहुत देर तक सोचती रही फिर बोली "यह मेरा परम सौभाग्य होगा । परंतु गांव के लोग क्या मुझे तुम्हारी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे ? क्या तुम्हारी मां मुझे बहू के रूप में स्वीकार कर पायेंगी" ? पूनम का चेहरा उदास था । 

रोहित सोचता रह गया । काफी देर सोचने के बाद वह बोला "मुझे एक महीने का समय दो पूनम । एक महीने बाद बताऊंगा तुम्हें इस बारे में । और हां, क्या तुम मेरा एक माह तक इंतजार कर सकोगी" ? 

पूनम ने आश्चर्य से रोहित को देखा और कहा "एक महीने क्या, सारी उम्र इंतजार करूंगी आपका" । और वह रोहित से लिपट गई । रोहित ने भी उसे बांहों में कस लिया और उसके अधरों पर अपनी निशानी अंकित कर दी । पूनम से अलग होते हुए रोहित बोला "मैं अब जा रहा हूं । एक महीने बाद आऊंगा । तब हम शादी करेंगे और फिर.. " 
पूनम ने उसके होठों पर हाथ रखते हुए कहा "इतने ऊंचे सपने मत दिखाओ ना । अगर टूट गये तो बहुत दुख होगा । मैं इसी देहरी पर बैठी रहकर जिंदगी भर आपका इंतजार करूंगी" । पूनम ने रोहित के पैर छू लिए । रोहित चला गया ।

ठीक एक महीने बाद रोहित पूनम के पास आया और बोला "मैं आ गया हूं पूनम । चलो, यहां से दूर चलते हैं । इतनी दूर कि जहां कोई हमें जानता तक नहीं हो । वहां एक अलग दुनिया बसायेंगे हम दोनों । बिना कोई प्रश्न पूछे क्या मेरे साथ चलोगी" ? 

पूनम रोहित को देखती रही और बोली "मुझे एक घंटे का समय दो, बस । मैं अभी आई" । और वह दूसरे कमरे में चली गई । ठीक एक घंटे बाद अपने कमरे से निकली तो वह एक सूटकेस के साथ चलने के लिए तैयार थी । दोनों चल दिये । बाहर फ्लैट का मालिक खड़ा था । पूनम ने चाबी उसे सौंपते हुए कहा "ये लीजिए चाबी । किराया आपके खाते में जमा करा दिया है । यहां जो सामान पड़ा है, उसे गरीबों में बांट देना" 

रोहित पूनम को लेकर कार में बैठ गया । सात आठ घंटे की यात्रा करने के बाद रोहित और पूनम एक कस्बे के एक घर के सामने खड़े थे । पूनम ने पूछा "किसका घर है ये" ? 
"तुम्हारा" । रोहित ने मुस्कुरा कर कहा 
"मेरा" ? आश्चर्य से बोली पूनम 
"हां तुम्हारा । अंदर चलोगी या सब कुछ यहीं बाहर ही करना है" ? रोहित के होठों पर शरारत खेलने लगी 

पूनम शरमा गई । उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि रोहित ने ये सब कब कर लिया । वह घर के अंदर दाखिल हुई तो रोहित ने उसे अपनी मां से मिलवाया । पूनम ने अपनी सास के पैर छुए । इतने में पूनम के मम्मी पापा एक कमरे से निकल कर पूनम के सामने आ गये । उन्हें देखकर पूनम खुशी से पागल हो गई और अपनी मां से लिपट गई । उसकी आंखें बरस पड़ी । उसने कृतज्ञ नजरों से रोहित को देखा । 
"याद है पूनम जब मैंने एक महीने का वक्त मांगा था तुमसे ? इस एक महीने में यही सब किया है । अपने गांव का पुश्तैनी मकान, दुकान सब बेच कर यहां यह मकान और एक दुकान खरीद ली है । मां को मना लिया और तुम्हारे मम्मी पापा का पता कर उन्हें भी मना लिया है । दोनों के मम्मी पापाओं के आशीर्वाद के बिना कैसी शादी ? आओ पंडित जी, अब अपना काम शुरू कर दो । क्या पता मोहतरमा का मूड चेंज ना हो जाये कहीं ? इसलिए जल्दी से फेरे करवा दो" रोहित पूनम को छेड़ते हुए बोला । उत्तेजना में पूनम सबके सामने ही रोहित से लिपट गई । पंडित जी ने श्लोक बांचने शुरू कर दिये । 

समाप्त 

श्री हरि 
21.9.22 
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रचनाएँ
दुल्हन एक रातकी
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एक रोमांटिक और सस्पेंस से भरपूर कहानी
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भाग 1

20 सितम्बर 2022
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"अरे विजय, आज तो बहुत दिनों बाद आया है यार । कहां रहता है आजकल" ? रोहित ने अपने जिगरी दोस्त विजय को देखकर कहा "आजकल दिल्ली में एक जॉब करने लगा हूं । कल ही आया हूं यहां पर । आज तुझसे मिलने आ गया ।

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अंतिम भाग

21 सितम्बर 2022
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भाग 2

21 सितम्बर 2022
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रोहित ने जो कहा उसे सुन पूनम भौंचक रह गई । यहां पर आने वाले लोग तो कुछ और ही फरमाइश करते हैं और ये रोहित ? इसकी फरमाइश है कि वह एक रात के लिये उसकी दुल्हन बन जाये । क्या यह संभव है ? क्या उस जैसी लड़क

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