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हंसी एक्सप्रेस

27 अक्टूबर 2015

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एक हैदराबादी परिवार में बेटा स्कूल से रोता हुआ घर आया... मां - काईकू रोरा? बेटा - टीचर मारी मेरेकू मां - काईकू मारी तेरेकू? बेटा- मैं मुर्गी बोला उसकू मां - अरे काईकू ऐसा बोला रे? बेटा - काईकू बोले तो? हर ईक्जामा में आंडा देरी मेरेकू....

 

टीचर- इकबाल के इस शेर का मतलब बताओ खोल आंख जमीन देख, फलक देख फिजा देख मशरिक से उभरते हुए, सूरज को जरा देख स्टूडेंट- सर इकबाल कह रहे हैं.... गुड मॉर्निंग

 

एक दस साल का बच्चा बहुत ध्यान से एक किताब पढ़ रहा था, जिसका टाइटल था, 'बच्चों का पालन-पोषण कैसे करें? मां- तुम इस किताब को क्यों पढ़ रहे हो? बच्चा- मैं ये देखना चाहता हूं कि मेरा पालन-पोषण ठीक से हो रहा है या नहीं।

 

मैंने सुबह पापा को बोला कि पापा मुझे वो दो जिसका मैं हकदार हूं। बस पापा ने भी एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया, मुँह पर।


टीटी ने पप्पू को प्लेटफॉर्म पे पकड़ लिया,
टीटी – टिकट दिखा,
पप्पू – अरे मैं ट्रेन में आया ही नहीं,
टीटी- क्या सबूत है?

पप्पू– अबे! सबूत यही है कि मेरे पास टिकट नहीं है!

  
वर्तिका

वर्तिका

बहुत खूब सुधांशु जी! खूब हंसाया!

28 अक्टूबर 2015

सुधांशु तिवारी

सुधांशु तिवारी

पप्पू की हुई मास्टर से लड़ाईमास्टर ने की पप्पू की पिटाईपप्पू का गरम हुआ खून..गया कब्रिस्तान और मास्टर की,फोटो टांग के लिख दियाCOMING SOON!!

28 अक्टूबर 2015

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रचनाएँ
halkifulkibaatein
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मच्छर चालीसा!

10 सितम्बर 2015
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ओम जय! मच्छर देवा,स्वामी जय! मच्छर देवा,रात को सोने ना दो तुम,काट-काट करते हो बेहाल तुम,खून पियों सबका,ओम जय! मच्छर देवा!मलेरिया एवं डेंगू के तुम हो दाता,किसी का निद्रा-सुख तुम्हे ना भाता,राग सुनाते हो ऐसा,ओम जय! मच्छर देवा!

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एअर कंडीशन नेता ( हास्य कविता )

27 अक्टूबर 2015
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ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे क्या हँसता है! ( हास्य कविता )

27 अक्टूबर 2015
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ओ घोड़ी पर बैठे दूल्हे क्या हँसता है!!देख सामने तेरा आगत मुँह लटकाए खड़ा हुआ है .अब हँसता है फिर रोयेगा ,शहनाई के स्वर में जब बच्चे चीखेंगे.चिंताओं का मुकुट शीश पर धरा रहेगा.खर्चों की घोडियाँ कहेंगी आ अब चढ़ ले.तब तुझको यह पता लगेगा,उस मंगनी का क्या मतलब था,उस शादी का क्या सुयोग था.अरे उतावले!!किसी

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हंसी एक्सप्रेस

27 अक्टूबर 2015
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सरदार पटेल

31 अक्टूबर 2015
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हँसते-हँसते हो जाओगे लोटपोट!

5 नवम्बर 2015
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टीचर: सच ओर वहम में क्या फ़र्क़ है ?स्टूडेंट: आप जो हमें पढ़ा रही हैं वो सच है, लेकिन हम सब पढ़ रहे हैं ये आपका वहम है…….लड़की –बादल गरजे तोतेरी याद आती हैसावन आने सेतेरी याद आती हैबारिश की बुंदों मेंतेरी याद आती हैलड़का-पता है पता है तेरी छतरी मेरे पास पड़ी है लौटा दुंगा, मर मत….बंटू को सड़क पे 100

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मुस्कुराते रहो!

18 नवम्बर 2015
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पंखा पुराण (हास्य कविता)

23 नवम्बर 2015
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जब उसने मुझे भइया कहा ( हास्य कविता)

27 नवम्बर 2015
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मैंने ना जाने कितने सपने बुने सपने बुने फिर वे धुने किन्तु दिल का इकलौता अरमाँ आसुओं में बहा जब उसने मुझे देखते ही भइया कहा। होटल में गया वेटर को बुलवाया बिरयानी और न जाने क्या क्या मंगवाया किन्तु मेरा दिल वहाँ भी रोता ही रहा बिल चुकता करने के बाद  जब चिट पर लिख कर आय

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