वे बोले उनसे, हम तो फ़ैन हैं आपके।
बोली पंखा पुराण बहुत सुना,
बस बन्द हो जाइये,
चक्कर न खाइये।
पंखों पर भारी छूट है आजकल,
छूट नहीं लेनी मुझे,
आप हवा खाइये।
नहीं तो
जापानी पंखे सा मोड़ मोड़,
मूठ ही पकड़ कर,
मुठ्ठी में बंद करूँगी तुम्हें।
- डॉ. मंजु शुक्ला