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हिमानी यादव की डायरी

हिमानी यादव

6 अध्याय
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himani yadav ke dir

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पुस्तक के भाग

1

अंधी मोहब्बत

10 अक्टूबर 2016
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6
1

बेशक मोहब्बत अंधी ही है . जो न होती तो , दोस्त , रिश्ते .भविष्य और किताबे हमें सब दिखते , तुम्हारे सिवा ....जैसे तुम्हे दिखता होगा ,हमारे सिवा ........

2

अजीब सी श्रद्धा

12 अक्टूबर 2016
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1

अजीब सी श्रद्धा है तुझसे , की तुझे मांगना भी है , और छोड़ना भी .हम सनातन वाले हर तिनके को पूजते है , की तुझे पूजना भी है ,और फेकना भी. अन्न तो ईस्वर है हमारे लिए ,की उसे माथे पे लगाना भी है ,और पैरों में रोंधना भी. अजीब सी श्रद्धा है हमारी, कि दिवाली पे स

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कोई तुम सा नहीं

22 नवम्बर 2016
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0

kaha talasu mai tumhe,ki koi surat tumsi nahi.na anko mae satrang h na julfo me bijli,na chehre me nur na rang me vo surur,vo asmani si palke,vo muskuraht jo budo si jhalke,kaha dhudhu mai tumhe,ki koi surat tum si nahi..kaha paugi tumhe ki koi sirat tumsi nahi.baris ki b

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मेरे दवारा

19 जनवरी 2017
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यूँ ही नहीं लिखती मैं, कोई तो वजह होगी.आँखों में नहीं दखती , पर कही तो जगह होगी ...

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Just read,then think..............

9 जुलाई 2017
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There is nothing to say about me,But i want to tell.I am himani.himani yadav.'himani'ka matlab he barf ki nadi.meri jindgi bhi kuch esi hi he.hamesha badalti hi rahti he,kabhi rukti hi nahi.me jayda badi nahi hu,par bahut sochti hu.jaruri bhi he.....thoda muskil hota he c

6

तेरे इश्क़ में

17 मार्च 2018
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https://himaniyadav.blogspot.in/2018/03/tere-isq-me.html#links

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