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बहुत पुरानी बात है की किसी राज्य में एक राजा हुआ करता था| राजा ने एक बार अपने राज्य के लोगों की परीक्षा लेनी चाही| एक दिन उसने क्या किया कि सुबह सुबह जाकर रास्ते में एक बड़ा सा पत्थर रखवा दिया| अब तो सड़क से जो कोई भी निकलता उसे बड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन कोई भी पत्थर हटाने की कोशिश नहीं कर रहा थ
मुझेएक खामोसीकाइंतजर , और वो कह निकला ......... शायद , ये वही लम्हा था , जो आँखों से बह निकला ..............
मैंने कहा साथ रहो , पर तुम ने तन्हाई चुनी ... मैंने कहा अपनी किस्मत हम खुद बनाएगे , पर तुमने खुदाई चुनी... मैंने कहा शर्म तो संस्कार की नीव है , पर तुमने बेहयाई चुनी ... मैंने कहा वादा निभाओ , पर तुमने बेबफाई चुनी...
गहराई समुन्दर की हो या मन की कोई फर्क नहीं पड़ता जो मयने रखता है वो ये की आप कहा तक जा सकते है ।.
कल फिर उसने आकर मेरे सीने में खंजर भोका ……। अब मैं उसे माफ़ न करूँ तो क्या करूँ ….....................।आखिर क्ब्र् में मार कर चोट तो उसे भी लगी ही होगी ........!
मेने रोका पर वो निकल गया .. वो वक़्त का लम्हा था और पानी सा फिसल गया....
मोहब्बत की इबादत लिख इंसान की भूली आदत लिख सफर अंतहीन है पैरो मे हिफाज़त लिख कपड़ो को दोष न दे आंखो मे शराफत लिख फेंक दे बिरदरी चोलेनाम से पहले भारत लिख समीर कुमार शुक्ल
जो हाथो से हो कर आँखों तक जाए वो जाम गलत है ,'barf को पानी कहना' बेशक ये इल्जात है ।अंत गलत हो तो दोष कहानी का नहीं होता ।और जो अलग हो के वापस न आए वो टुकड़ा हिमानी का नही होता...
कुछ लोग तो पानी के रंग में भी नहा जाते है , एक हम है,जिन्हे रौशनी भी सफ़ेद लगती है………
Katra ktra dil asuo me pighalta chala gya...Mene hath thama ki shayd vo ruk jae, or lmha dr lamha vo nikalta chala gya...
कोई समझता ही नहीं मुझे, तो समझउ क्या ? बहते हुए लहू में भी दिखता नहीं किसी को मेरा दर्द, तो दिखाऊ क्या ? जब कोई सुन ही नहीं सकता तो हल - e-दिल बताओ क्या ?