आँखों में गम है तेरा,
होंठों पर नाम है तेरा|
गया जब नदी के किनारे
नजर आया चेहरा तेरा |
नदिया का जल कहने लगा
क्या ढूढ़ते हो कुछ न तेरा |
लौट पड़ा मैं जब वापस
जिस ओर स्वर सुना तेरा |
खोज रहा फिर उस ओर मैं
मिल रहा न कोई छोर तेरा |
जिस से मैं बात चार कर लूँ
न था कोई प्रतिबिम्ब तेरा |
बढ़ा जब मैं उस ओर आगे
एक कली लिए समत्व तेरा |
सोंचा मिल गयी तुम अब मुझे
बोली मैं नहीं प्रेम तेरा |
विनती की कुछ बता मुझे
होगा बड़ा उपकार तेरा |
बोली बढ़ जा तू अब आगे
वही है अब रास्ता तेरा |
खोज रहा अब भी मैं तुमको
न मिला कोई निशान तेरा |
न मिला न मिला और न मिला
ऐसा कोई निशान तेरा ||