15 सितम्बर 2022
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मेरा नाम गिरधारी लाल चतुर्वेदी 'सरदार' हैं एक ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया और अपनी समाज व संस्कृति को उसी रूप में जीया हैं जिस रूप में वह धरोहर हमें मिली मेरे पिता स्व० श्री नन्दलाल चतुर्वेदी जिन्हें लोग नन्दो सिंह जी के नाम से उनकी सामाजिक सेवाओ व समाज प्रेम के कारण जानते थे व माँ का नाम शीला देवी था जो कि एक विचारक थी। मैं मथुरा में जन्मा और पला बड़ा हुआ अपनी सी ए इन्टर तक की शिक्षा मथुरा से हीं प्राप्त की और फिर दुबई व रसिया के मोस्को शहर में काम किया वर्तमान में मनीपाल ग्रुप में बैंगलोर में कार्यरत हूं। मैने श्रीमद भगवत गीता के अट्ठारह अध्यायों के श्लोकों को बृज भाषा में छन्द बद्ध कर बृजरस श्रीमद्भागवत गीता के नाम से लेखन किया हैं जिसकी डिजीटल प्रति मैने जन जन तक पहुचाई है। श्रीमद्भगवद्गीता के अतिरिक्त सैकडों कविता व कहानिया मेरी प्रतिलिपि एप पर हैं और उस एप पर आज की तिथि मे मेरे १०००+ फोलोअर्स हैं। मेरी कविताये व लेख सामाजिक पत्रिका जागरण पत्रिका में सर्वप्रिय रहीं हैं और जागरण पत्रिका का संचालन किया हैं । इसके अतिरिक्त अभ्युदय मासिक पत्रिका कुटुम्ब एप की टीम द्वारा चलाई जा रही समाचार पत्रों मे व सहित्य संगम संस्थान के मंच से मैने कविता पाठ भी किया हैं। मेरी रुची सामाजिक लेख, गीत, गजल कविता दोहा कुण्डलिया राजनीतिक व्यंग आदि में हैं। और समय समय पर देश में घट रही घटनाओं पर अपनी लेखनी से आवाज़ उठाना मैं अपना धर्म समझता हों घटना चाहे निर्भया काण्ड की हो या हैदराबाद में हुई घटना हो अथवा हाथरस की घटना इन हर घटनाओ पर मेरे लेख व कवितायें हैं। इनके अतिरिक्त और भी बहुत कुछ अब तक ५००+ कविता लिख चुका हूं। 🙏D