हिन्दी ❤
हिन्दी मुझे तुम माँ जैसी लगती हो...!!
इतना प्रभुत्व, इतनी मर्यादा,
इतने सुन्दर शब्दों को रचती हो..!
कोई कितने ही निकृष्ट अवगुन रखता हो,
तुम उसे भी असभ्य, अशिष्ट जैसे शब्दों से उपेक्षित करती हो ...!
अथाह साहित्य लिये, अकल्पनीय परिपेक्ष्य से,
अपना अलग ही शब्द्कोश अर्जित करती हो..!!
सर्वव्यापी, सर्वश्रेष्ठ,
तुम मुझे सर्वगुण सम्पन्न लगती हो...!!
हिन्दी मुझे तुम माँ जैसी लगती हो...!!
स्त्रीलिंग स्वरूप लीए, ममता सी कोमलता रखती हो,
स्वयं में परिपूर्ण हो जो, उस माँ जैसी ही सशक्त दिखती हो...!
अभीष्ट हो तुम, अमृतमय हो,
अंतरंग सी मुझमें बहती हो...!
हिन्दी मुझे तुम माँ जैसी ही लगती हो...!!
भारत का मूल आधार है हिन्दी,
हर भारतीय को तुम ये पहचान देती हो...!
इतनी दृढ़ता से हम सब में समाए,
भिन्न होकर भी एकाकार का रुप देती हो..!!
एक तुम ही मुझे सबसे अनूठी, अद्वितीय, अनुपम, सौहार्दपूर्ण ऐव्ं, सभी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ ही लगती हो...!!
हाँ, तुम मुझे ही नहीं, शायद हर भारतवासी को अपनी माँ जैसी ही लगती हो, माँ जैसी ही लगती हो...!!!
हिन्दी दिवस की अनेकानेक शुभकामनाओं सहित,
आपकी "दीक्षा"
एक हिन्दी प्रेमी, क्यूंकि मेरी भावनाओं को तुम ही कविता का आधार देती हो...!!
14/09/2022