होली से पहले हमारे यहाँ होली मिलन समारोह था। मैने अपनी कुछ सहेलियों को बुलाया और चाय नाश्ते के प्रोग्राम रखा। सबने भाँग की चाय पी फिर चाय नाश्ता करने के बाद गपशप चली। फिर सखियां बन्दर के ऊपर रंग डालकर गाने लगी, 'आज न छोड़ेंगे हमजोली खेलेंगे हम होली' और बन्दर भाग गया। सहेलियों को भाँग चढ़ी हुई थी। सब झूमने लगीं। कविता, गीत, चुटकुले, खूब होली के हँस गुल्ले और रसगुल्ले खाये जा रहे थे और गाये जा रहे थे। 'आज ब्रज में होली रे रसिया' और खूब नाच गाने हो रहे थे। होली के लोकगीत भी गाये जा रहे थे। तभी अचानक एक सखी बीच में बोली मेरे पेट में बिल्ली का बच्चा है। कहकर वह म्याऊ म्याऊ करने लगी और म्याऊ म्याऊ करके गुजिया खाने लगी। और कहने लगी भूखा नहीं सोने दूँगी। फिर और सखियों के पास गई। रसगुल्ले खाकर गोल गोल आँखे मटकाकर बोली भूखा नहीं सोने दूँगी। फिर चिप्स, पापड़, मठरी और होली की खूब मिठाईया खाई। और म्याऊ म्याऊ करके सबके पास जाकर कहती, 'भूखा नहीं सोने दूँगी।' सखियाँ भी उसकी नकल करती और माऊं माऊं करके सभी सखियाँ उसको प्यार से खूब गुजिया खिलाती। प्यार भरी गुजिया खाकर डकार लेकर वह बोली, 'बस अब बेचारे म्याऊ म्याऊ का पेट भर गया'। और सभी सखियाँ एक दूसरे के मुंह पर रंग व गुलाल लगाकर नाचने गाने लगी। और रंग भरा खुशी का माहौल हो गया फिर सब एक दूसरे के गले मिलकर गाने लगे। हमें तुमसे प्यार कितना ये तुम नहीं जानते मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना।
इसी तरह हमारी प्यार भरी और रंगभरी होली के जीवन में रंग भरे रहें। खुशियों भरी व रंग भरी और फूलों सी सुगन्धित खुशियों भरी होली की सबको शुभकामनाएं।