मेरे बचपन की कुछ यादें
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बात 1964 की है जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे। स्कूल में सारे राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते थे जैसे 15 अगस्त 5 सितंबर 2 अक्टूबर 26 जनवरी 14 नवंबर आदि। जिनमें से 26 जनवरी बहुत उत्साह से मनाई जाती थी। हमारे टा
बचपन में (1964-70) जब हम छोटे छोटे थे। उस समय हम गुड्डे गुड़िया खेलते थे। जो कि हमको बहुत अच्छा लगता। स्कूल से आकर और छुट्टी के दिन तो सारे दिन गुड्डे गुड़िया खेलते। उस समय हम पुराने कपड़ों से गुड़िया
बात 1964 से 72 की है जब हम स्कूल में पढ़ते थे। तब हम सभी बच्चे बहुत सारे खेल खेलते थे जैसे कि 6 या 8 खाने खीचकर घर बनाने का खेल। जो की हम मिट्टी या गिट्टी से जमीन पर खीचकर खेलते थे। गिट्टी को पैर से खि
बात 1964-70 की है जब हम होली खेलते थे। उस समय होली आजकल की तरह रेडीमेड नहीं रखी जाती थी। बल्कि सवा महीने पहले बसन्त पंचमी के दिन चौराहों पर लकड़ी व कण्डे डालकर होली के त्यौहार की शुरुआत की जाती थी। पहल
1962 की बात है जब हम नर्सरी क्लास में पढ़ते थे। और हमारी पढ़ाई कॉपी किताब या स्लेट बत्ती से नहीं होती थी। वहाँ पढ़ाई नाटक व कविताओं द्वारा होती थी। जैसे कि राम सीता के पाठ में एक बच्ची सीता और एक को राम
हमारी बहन 9 साल की थी और हम 4 साल के होंगे। बहन की सहेली के घर ट्रेन में बैठकर चले गए उसकी छोटी बहन को खिलाने। फिर वह हमकों रेल में बिठाने आई। हम घर वापस आ गए जो शहर में था। जब मम्मी को दूसरे दि