ये एक बिल्कुल सच्ची कहानी है । मेरे आफिस में काम करने वाले एक लड़के और हमारी कंपनी के एक कस्टमर की रिसेप्शनिष्ट की । इसी लिए किरदारों के नाम बदल दिए है ।
ये कहानी मेड्डी यानी मनोज वर्मा की है । सेल्स एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत था । वैसे तो वो हिसार का रहने वाला था पर गुड़गांव में नौकरी थी तो गुड़गांव में ही किराए पर रहता था ।
हमेशा हँसी मजाक करने वाला और मस्त रहने वाला और आस पास का माहौल पल में बदल देने वाला मेड्डी सच में पागल ही था ।
5 फुट 2 इंच हाइट , रंग गेहूवा , ऊपर से लेकर नीचे तक मोटा और थुलथुला शरीर, आंखों पर नज़र का चश्मा , बाल माथे से थोड़े उड़े हुए लेकिन चेहरे पर हमेशा स्माइल और भरपूर आत्मविश्वाश । कंपनी के बाहर चाय की दुकान पर मैं अपनी स्पेशल चाय ( यानी चाय पत्ती तेज, मीठा बिल्कुल कम और दूध और अदरक ज्यादा ) पीने जाता था , हालांकि आफिस में चाय आती थी लेकिन मेरी चाय सच में अलग होती थी ।
कई बार दूसरे लोग भी जब अच्छी चाय पीना चाहते थे तो यही कहते थे " कौशिक जी वाली चाय बना दे भाई " ।
मेड्डी भी दुकान पर जाता था पर सिगरेट पीने के लिए । वो सबके साथ हँसी मजाक करता था चाहे ड्राइवर हो, गार्ड हो, चपरासी हो या बड़ा अफसर । कंपनी में उसकी हँसी की आवाज गूंजती रहती थी ।
एक दिन मैं चाय पीने गया तो पहले से ही सिगरेट पी रहा था । मैं जैसे ही वहाँ पहुंचा उसने सिगरेट फैंक दी। और मुझे दिखाने के लिए चाय वाले को चाय के लिए कहने लगा ।
मैंने सिगरेट उठाई और उसे दे दी और कहा " भाई वर्मा जी ! इज्जत दिल से होनी चाहिए , कोई बात नही आप पीजिए पर हो सके तो इसे छोड़ दो आपकी सेहत भी अच्छी बनेगी । "
मेड्डी शर्मिंदा होकर शरमाते हुए बोला " वो सर जी सभी आपकी इज्जत करते है , आपके बारे में बहुत कुछ सुना है बस इसी वजह से आपके सामने हिम्मत नही हुई । आगे से नही पिऊंगा । "
और मेड्डी ने सिगरेट फैंक दी ।
जारी रहेगी आगे की कहानी अगले पार्ट में .....
क्रमशः