फिर धीरे धीरे मेड्डी मेरे और नजदीक आने लगा । और अक्सर सिगरेट बाहर ही पिता उस चाय की दुकान पर सिर्फ " कौशिक जी वाली चाय " यानी मेरे वाली चाय पीता था ।
चाय वाले ने मुझे बताया कि " सर लगता है आपकी नसीहत का फर्क पड़ा है वर्मा जी पर । आजकल सिगरेट नही पी रहे हाँ आप वाली चाय जरूर पी रहे है । "
मेरे दिल मेड्डी के लिए थोड़ी जगह बन रही थी । अब वो जब मैं चाय पीने जाता तो मेरे साथ ही जाने लगा । हमेशा हँसी मजाक की बाते करता रहता था जिससे कुछ देर के लिए ही सही पर सारी टेंशन रफू चक्कर हो जाती थी । धीरे धीरे वो अपने घर , परिवार और दोस्तो की बाते करने लगा । जब वो टेंशन में होता तो हमेशा मेरे पास आकर बैठता और मुझसे शेयर करता था । वो कब " सर जी " से मुझे " पंडत जी " कहने लगा पता ही नही लगा ।
जब कोई हँसमुख इंसान आस पास हो तो घटनाएं भी हँसी वाली घटती थी । जैसे एक दिन हम चाय पी रहे थे तभी मोहाली (पंजाब ) का कोई ड्राइवर सरदार आया और चाय वाले से बोला " पाई साहेब ! खाने विच की की है ? "
चाय वाला बोला " सरदार जी आज तो सिर्फ आलू बैंगन सब्जी में , खाना है तो रोटियां बना दे "
सरदार जी मुँह बना कर बोला " ओए तुस्सी रहण दो यारा , बैगन की सब्जी का नाम सुन्दे ही जी खराब हो जाता है खा लेवेंगे तो अस्सी मर ही जावेंगे । "
मेड्डी ने चाय की सिप ली ही थी सरदार जी की बात सुनते ही उसकी हँसी के साथ सारी चाय बाहर आ गई । हम दोनों उस दिन तो हंसे ही पर आज तक भी जब भी बात करते है तो सरदार जी की बात हमेशा याद आती है ।
ऐसा ही एक और किस्सा हुआ । मेड्डी सेल्स में था तो कभी कभी जब पेमेंट लेट होती तो प्रेशर बनाने के लिए कुछ सीनियर भी कस्टमर के यहाँ विजिट करते थे । एक बार किसी कस्टमर के रिसेप्शन से फ़ोन आया मेड्डी के पास ।
उसने ने कहा " वर्मा जी आपकी कंपनी से कोई बन्दा आया है , मुझे तो दूर है पर सामने ही है । कौन है ये ?? "
मेड्डी बोला " पता नही यार कौन गया है तुम्हारी कंपनी , पर ये बता देखने में कैसा है ??? "
वो बोली " ये..........दिखने में क्या बताऊँ .... हाँ, तुमने रामायण देखी है ना , उसमें जो जामवंत है ना बिल्कुल वैसा है इसका मुँह भी उसकी तरह खुला हुआ है । "
मेड्डी बोला " अरे क्या कह रही है धीरे बोल वो मेरा बॉस है पागल । "
फिर उसने पूछा " अच्छा तो उनको पेमेंट का चेक दे दू ना ? "
मेड्डी अपने हँसी वाले अंदाज में बोला " इब के लिख कर दूं, दे दे ।"
ऐसे कई किस्से वो अक्सर बताता रहता था । फिर एक दिन काम ज्यादा था नही तो मैं और मेड्डी मेरे केबिन में बैठे थे । वो बोला " पंडित जी आज चाय यहीं मंगवा लो , काम धाम कुछ है नही यही गप्पे मारेंगे आज । "
उसने खुद ही फोन कर दिया और चाय मंगवा ली । मैं समझ तो गया था कि ये कुछ बताना चाहता है शायद , पर मैं इन्तेजार करता रहा कि वो खुद कुछ बोले ।
चाय आ गई , चाय की चुस्की लेते हुए वो बोला " पंडित जी आपकी पर्सनालिटी ऐसी है आप पर तो कई टन छोरियां मरती होंगी ? मेरा मतबल के आपकी तो बहुत सारी गर्ल फ्रेंड होंगी ??? "
मैं हंसा और बोला " अबे तू पहले ये बता की लड़कियों को भी तू टन में तोलता है क्या ? "
मेड्डी बोला " पंडित जी मेरा कोशचंन आपने समझ तो आ गया ना, कोनि आया के ?? "
मैं बोला " मेरी छोड़ तू अपनी बता तेरा क्या सीन है, तेरी कितनी गर्लफ्रैंड है ???"
वो मज़ाक करते समय पहले खुद ही हँस पड़ता था । हंसते हुए बोला " पंडितजी मेरे जैसे लड़के को लड़का कहते है क्या ? सुसरा बाल की जगह बाल नही, आँख की जगह आँख नही , शरीर की शरीर नही और हाइट की जगह हाइट नही । छोरे तो आप जैसे होते है ,माँ कसम पंडित जी आप जैसी हाइट और पेरसोंलिटी मेरी हो ना तै आग लगा दू गुडगाँव में । राजीव चौक तै मानेसर ताँके लाइन लग जावे छोरियों की । "
मैं उसके मन की बात निकलवाने के लिए बोला " अब तू बता रहा है या मैं अपना काम खत्म करुं ????? ""
वो चुप सी हँसी हंसा और बोला " पंडित जी आप कैसे पता लगा लेते हो मन की बात ????
मैं मज़ाक में बोला " भाई पंडित भविष्य नही बताएंगे तो उनका क्या फायदा । "
" ठीक है सर .....वो पंडित जी मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूँ , बड़े भाई की तरह मानता हूं आपको ,
मैं सिर्फ आपको बता रहा हूँ पर आप किसी और को मत बताना , अपने तक सीमित रखना । कम्पनी का काम है प्रॉब्लम हो जाएगी । "
वो मुझे थोड़ा भरोसे में लेते हुए बोला ।
मैं बोला " तू चिंता मत कर बता "
" पंडित जी ! आपकी भोडिया (बहु) पसंद कर ली है । "
शर्माते हुए मेड्डी बोला ।
मैने खुशी जाहिर करते हुए कहा " वर्मा जी ऐसी खुशी की बात में तो मिठाई बनती है । "
वो आगे बताते हुए बोला " अरे पंडत जी चिंता मत करो मिठाई का ढेर लगा दूंगा आपके लिए । पर सर जी एक प्रॉब्लम ये है कि अभी उससे बात शुरू हुई है । "
मैने पूछा " अच्छा तो गर्लफ्रैंड है तेरी कौन है , क्या करती है ??, कब हुई फ़्रेण्डशिप ? तूने तो बताया भी नही ????"
" सर जी अभी बात शुरू हुई है लेकिन उसका रिस्पांस सही मिल रहा है , हम रोज हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन पर मिलते है । मैंने बोल दिया है उससे शादी करने के लिए । "
मेड्डी ने बताया ।
मैने नाराज़ होते हुए कहा " चलो ये तो अच्छा है कि तू गर्लफ्रैंड को धोखा नही दे रहा और शादी करने की बात कर रहा है, पर साले ये तूने कभी सोचा है कि तेरे माँ बाप जो तेरी शादी के सपने संजोय बैठे है इतने दिनों से उनको पता चलेगा तो उनके दिल पर क्या गुजरेगी ??
घर से इतनी दूर वो तेरी चिंता करते होंगे और तू यहाँ रास लीला रचाकर उन्हें असहनीय सरप्राइज देने के चक्कर में है । "
सच में मुझे बहुत बुरा लगा और मैने अपनी कुर्सी उसकी तरफ से हटा कर अपने कंप्यूटर की तरफ कर ली । अब उसका चेहरा उतर गया । सारी हँसी गायब हो गई । वो तुरन्त फुर्ती से उठा और दोनों हाथों मेरे कंधे दबाने लगा और फिर पैरों को हाथ लगाने लगा ।
मैने उसे रोका तो बोला " दादा ..... पंडत जी आप नाराज़ मत होना , लेकिन क्या आप चाहते हो कि मैं उस लड़की को झूठ बोलकर उसके साथ गलत करूँ ??? उसके सिर पर बाप का साया नही है माँ बेटी गरीब परिवार की है वो । "
समझ नही आ रहा था कि उसे गलत कहुँ या सही ।
पर मैने उसको समझाते हुए कहा " देख मनोज ! अभी तो शुरआत है अपने माँ बाप को बता पहले , अगर वो उसे पसंद कर ले और हाँ कहे तभी शादी करना , वरना तू कभी सुखी नही रह पायेगा ।।
और सुन ले पुत्तर जो अपने माँ बाप का नही होता वो दुनिया में किसी का भी नही हो सकता । ""
बाकी की कहानी अगले पार्ट में जारी है
क्रमशः