Bhaisaheb मेरे जिंदगी की वजह
हम बचपन में थे या बचपना हम में
तुम दोस्त थे या भाई भाई में ही दोस्त थे
हम दो थे या दो होके भी 1 ही रहे
तुम मेरे ख़ुशी थे या मेरे जीने की वजह या में ही तुम्हारी खुसी था
हम दोनों का प्यार ही प्यार था या यार का नाम ही हम थे
मेरी हर जिद तुम्हारी थी या में ही तुमहरी जिद था
हम सफर में थे या हम ही हमसफर थे
तुम्हरा आशीर्वाद मेरे साथ है या तुम ही मेरा आशिर्वाद हो
रात काट जायेगी लिखते लिखते पर न ख़तम होंगे हमारे प्यार बचपन के किस्से हमारा बचपन लिखू या हम ही खुद एक अधूरी दासन्ता बनके रह गए...🙏🙏🙏
Bhaisaheb(gopi)
Rahul varsatiy parmar
Aka निशार सिरफ