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हमारा बचपन

23 जनवरी 2018

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Bhaisaheb मेरे जिंदगी की वजह

हम बचपन में थे या बचपना हम में

तुम दोस्त थे या भाई भाई में ही दोस्त थे

हम दो थे या दो होके भी 1 ही रहे

तुम मेरे ख़ुशी थे या मेरे जीने की वजह या में ही तुम्हारी खुसी था

हम दोनों का प्यार ही प्यार था या यार का नाम ही हम थे

मेरी हर जिद तुम्हारी थी या में ही तुमहरी जिद था

हम सफर में थे या हम ही हमसफर थे

तुम्हरा आशीर्वाद मेरे साथ है या तुम ही मेरा आशिर्वाद हो

रात काट जायेगी लिखते लिखते पर न ख़तम होंगे हमारे प्यार बचपन के किस्से हमारा बचपन लिखू या हम ही खुद एक अधूरी दासन्ता बनके रह गए...🙏🙏🙏

Bhaisaheb(gopi)

Rahul varsatiy parmar

Aka निशार सिरफ

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रचनाएँ
BHAISAHEB
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This Is the time when I feel inside.what I m /who am I.. me iss inspired by bhaisaheb/ mere bde bhai bss apke ashirwad se hi aaj me jo bhi kar rha hu bss kar rha hu pta nhi manjil milegi ya nhi bss kar rha hu...be always with me....Inspired by rahul parmar(bhaisaheb Rahul varsatiy parma उर्फ़ aka निशार सिरफ

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