shabd-logo

सिलसिला

7 मार्च 2023

15 बार देखा गया 15
ग़ज़ल (१)

ना चाहते हुए भी उनसे, ये सिलसिला रहा।
मुहब्बत हमें थी फिर भी, जिनसे गिला रहा।।

एक नफरतों का दौर आया, और चला गया।
खंजर लिए वो हाथ में, फिर भी मिला रहा।।

मेरे गुलों के बदले, उसके आगोश में थे कांटे।
ढेरों खुशियां लिए हुए , ये उपवन खिला रहा।।

उनसे हुआ जुदा तो मगर, यह हो नहीं सका।
मेरे संग उसकी यादों का वो काफिला रहा।।

शिकवे हजार थे तो मगर, कुछ भी नहीं कहा।
तमाम चुप्पियां लिए हुए, ये लब सिला रहा।।

"चंदन" बेकार इश्क है, बस इतना जान लो।
दिल उनका जल रहा, दिल मेरा जला रहा।।

Chandra Mohan Mishra की अन्य किताबें

4
रचनाएँ
मौसम-ए-इश्क
0.0
यह इश्क नहीं आसान, एक आग का दरिया है। और डूब कर जाना है।।
1

सिलसिला

7 मार्च 2023
0
0
0

ग़ज़ल (१)ना चाहते हुए भी उनसे, ये सिलसिला रहा।मुहब्बत हमें थी फिर भी, जिनसे गिला रहा।।एक नफरतों का दौर आया, और चला गया।खंजर लिए वो हाथ में, फिर भी मिला रहा।।मेरे गुलों के बदले, उसके आगोश में थे कांटे

2

मुस्कान

7 मार्च 2023
0
0
0

ग़ज़ल (२)अपने ओंठो पे मुस्कान रहने दो।थोड़ी अपनी पहचान रहने दो।।कोई तुमसे नाराज़ ना होने पाए। दिल में सबका मकान रहने दो।।मत छीनो किसी से बचपन तुम।उसके सर पर आसमान रहने दो।।बिक गए कई और बिकने बाकी

3

दिल का दर्द

7 मार्च 2023
0
0
0

ग़ज़ल (३)दिल का दर्द वो भुलाने लगे हैं।यार हमें ऐसे ही सताने लगे हैं।।भुला दी उसने यादें पल में ही।अपना बनाने में जमाने लगे हैं।।जिन्हें रिश्तों की कद्र नहीं थी।वही घरों में आने जाने लगे हैं।।"चंदन" न

4

याद

9 मार्च 2023
0
1
0

ग़ज़ल (४)चला जाता तुम्हारा क्या!, हमें भी याद कर लेते।सुनाते तुम जो दिल की, तो हम विदाद कर लेते।।तेरी सूरत पे ग़म की छाया भी अच्छी नहीं लगती।तुझे ख़ुश देख के हम भी, ये गुल आबाद कर लेते।।कोई कब याद आता

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए