पेशे से अध्यापक एवं एक साहित्यकार हैं। मेरी शिक्षा एमकॉम और बीएड है। वर्तमान में जनपद फर्रुखाबाद के कन्या प्राथमिक विद्यालय रोहिला में बतौर सहायक अध्यापक पद पर तैनाती है।
यह इश्क नहीं आसान, एक आग का दरिया है। और डूब कर जाना है।।
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ग़ज़ल (४)चला जाता तुम्हारा क्या!, हमें भी याद कर लेते।सुनाते तुम जो दिल की, तो हम विदाद कर लेते।।तेरी सूरत पे ग़म की छाया भी अच्छी नहीं लगती।तुझे ख़ुश देख के हम भी, ये गुल आबाद कर लेते।।कोई कब याद आता
ग़ज़ल (३)दिल का दर्द वो भुलाने लगे हैं।यार हमें ऐसे ही सताने लगे हैं।।भुला दी उसने यादें पल में ही।अपना बनाने में जमाने लगे हैं।।जिन्हें रिश्तों की कद्र नहीं थी।वही घरों में आने जाने लगे हैं।।"चंदन" न
ग़ज़ल (२)अपने ओंठो पे मुस्कान रहने दो।थोड़ी अपनी पहचान रहने दो।।कोई तुमसे नाराज़ ना होने पाए। दिल में सबका मकान रहने दो।।मत छीनो किसी से बचपन तुम।उसके सर पर आसमान रहने दो।।बिक गए कई और बिकने बाकी
ग़ज़ल (१)ना चाहते हुए भी उनसे, ये सिलसिला रहा।मुहब्बत हमें थी फिर भी, जिनसे गिला रहा।।एक नफरतों का दौर आया, और चला गया।खंजर लिए वो हाथ में, फिर भी मिला रहा।।मेरे गुलों के बदले, उसके आगोश में थे कांटे