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बिन साजन के

22 दिसम्बर 2021

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शीर्षक - बिन साजन के
विधा - गीत
मात्रा भार - १६

समझे आखिर कौन अगन को।
बिन साजन के व्याकुल मन को।।

छेड़ रहीं हैं सखियाँ सारी।
प्रीत लगी मोहे बड़ बीमारी।।
कैसे मैं समझाऊँ उनको।
बिन साजन के व्याकुल मन को।।

अँखियाँ देखें सूनी गलियाँ।
सूख गईं कलि कुंज की कलियाँ।।
पुरवाई नित छूये तन को।
बिन साजन के व्याकुल मन को।।

किस विधि तुमको पास बुलाऊँ।
मन के सारे घाव दिखाऊँ।।
कैसे रोकें भाव शिकन को।
बिन साजन के व्याकुल मन को।।

मिथलेश सिंह मिलिंद 

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