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निष्कपट प्यार 

19 फरवरी 2022

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नई स्वरचित रचना -निष्कपट प्यार (18022022)
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तुम खूबसूरत हो!वाकई
क्या इतना पर्याप्त नहीं?
मै चाँद तारे तोड़ लाऊंगा
मै ये कर दूंगा, वह कर दूँगा"
ये वादा नहीं कर सकता मै।
ये न पूरे होने वाले वादों का ढोंग
ना बाबा ना, ये न हो सकेगा मुझसे।
बेहतर है तुम दो चार दिन रूठी रहो,
कम से कम मै झूठ का हिस्सा न बनूंगा।
मेरे दिल मे, उतरकर देखो कभी,
पूरे दिल मे समायी हो तुम, हाँ केवल तुम
मै झूठे वादों के इंतजार का बोझ उठाते तुम्हे,
नहीं देख सकता। काश तुम समझ पाती!
देखो, तुम्हारे लिये मैंने शब्द पिरोये है।
और, सुनो तुम वाकई बहुत सुंदर हो।
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रचनाएँ
जब मै भी युवा था
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मनुष्य की हर अवस्था के अलग-अलग कहानियां होती है मनुष्य जब बच्चा होता है, जब किशोर होता है, जब युवा होता है, जब प्रौढ़ होता है जब मुझे बूढ़ा हो जाता है। युवावस्था मनुष्य के जीवन का दौर है,जब वो सपने देखता है, जब उसे लगता है कि से किसी से प्यार हो गया है। किसी के लिए यह अहसास ज्यादा होता है और किसी के लिए यह अहसास कम होता है. कुछ कोशिश कर रहा हूं अपनी यादों के झरोखों में जाकर अपनी युवावस्था की कहानी लिखने की?

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