कॉलेज के दिन सबसे बेहतरीन होते हैं ऐसा वह सब लोग मानते हैं जो छिछोरे या भंवरा प्रवृत्ति के होते हैं।
यह सच है मैं भी उनमें से कोई अलग नहीं था।
रोज रंग बिरंगे लिबास बदल कर आती हुई लड़कियां, प्रोफेसरों से ज्यादा अच्छी लगती थी।
कभी-कभी तो मुझे ऐसा भी लगता था कि जैसे प्रोफ़ेसर भी नजरें बचाकर उनको देख लिया करते हैं।
मन खूबसूरत चीजों के प्रति आकर्षित होता है, पता नहीं यह बात कितनी सच है, लेकिन यह बात उस दौर में 100% सही लगती थी.
कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों में मदालसा सबसे आकर्षक थी उसकी अदाएं हर किसी का मन मोह सकती थी ऐसा मेरा दावा है। कभी कभी मुझे ऐसा भी लगता था कि उसे अपने रूप पर घमंड है।
सारे प्रोफ़ेसर मदालसा से सवाल जरूर पूछा करते थे,यद्यपि उसके सवालों के उत्तर संतोषजनक नहीं होते थे। फिर भी सारी प्रोफेसर उसका मनोबल बड़ा दिया करते थे.
प्रोफ़ेसर चतुर्वेदी तो दो कदम आगे बढ़ कर कहते " मदालसा तुम इतनी खूबसूरत हो,पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं देती हो, तुम चाहे तो मुझ से ट्यूशन ले सकती हो, अच्छी पढ़ाई से तुम खूबसूरत के अलावा स्मार्ट भी लगने लग जाओगी". "जी सर थैंक यू आपके अप्प्रेसिएशन के लिए,मै सोचूंगी "शर्माते हुए,ऐसा जवाब देकर मदालसा चुप हो जाती थी।
हम दो चार लड़कों को प्रोफ़ेसर चतुर्वेदी के इन सवालो से न जाने क्यों बड़ी बेचैनी हो जाती थी , हमारा एक दोस्त निरपेक्ष तो मजाक मजाक में कभी कह दिया करता था "सर कभी हमें भी स्मार्ट बनाने की बनाने की विधि बता दीजियेगा. ठीक है-ठीक है, कहकर प्रोफेसर चतुर्वेदी अपनी खींझ निकाल दिया करते थे।
हम दो-चार लड़के तो पढ़ाई को छोड़,मदालसा को अपनी प्रेमिका बनाने के ख्वाब देखा करते थे।
जब परीक्षा का परिणाम आया तो मदालसा तो किसी तरह पास हो गई, लेकिन हम सब लफँगे पार नहीं लग पाये.
कभी कभी जीवन में कुछ घटनाएं अच्छे के लिए भी घटती हैं, हमारे जीवन का एक साल बरबाद जरूर हुआ, लेकिन हम सब लोग स्वप्नलोग से बाहर आ चुके थे और जीवन की दौड़ में शामिल हो चुके थे.
एक दिन ऐसे ही फेसबुक पर मदालसा का प्रोफाइल, सर्च किया तो पाया कि मदालसा भी फेसबुक पर है, तब मदालसा का प्रोफाइल देख कर यह लगा कि जलवा सबका कायम नहीं रहता है।