जीवन का हर क्षण अनमोल क्या लेकर तू जाएगा।
अंधकार से आया है तू क्या जीवन नर्क बनाएगा।।
अहम की नैया खोटी पड़ी छल कब तक करता जाएगा।
जिस औलाद पर करता ए प्राणी गुमान तू वही चिता पर
तुझे सुलाएगा।।
जानना है छोर तुझे जीवन का तो कपट कहाँ तक जाएगा।
जैसे करेगा तेरा मेरा बाँटे वही तो आयेगा।।
औलाद को शर्म अनपढ़ माँ बाप कहकर कब तक अस्तित्व अपना
लजायेगा।
जब जब चोट लगेगी तुझे कोई नहीं आएगा आखिर गुहार ए मानव तू माँ को ही लगाएगा।।
धन्यवाद......🌿🚩
स्वरचित
माधुरी रघुवंशी ✍️👑🚩