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नफ़रत की आड़ ✍️

10 मई 2022

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नफ़रत की आड़ में कितने रिश्तों को आग लगाए बैठे हैं।
हकीकत है आज की इंसान इंसान को जलाये बैठे हैं।।
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कैसी ये भूख है लालसा की अपने अस्तित्व को मिटाये बैठे हैं।
माँ बाप को घर से निकालकर जायदाद पर कब्ज़ा जमाये बैठे हैं।।
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एक अंगूठे पर स्याही लगवाकर माँ के आँचल की छाव भुलाये बैठे हैं।
पत्नी को घर की मलिका बना दिया माँ को घर की नौकरानी बनाये बैठे हैं।।
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मॉल जाने बच्चों के खिलौने लाने के लिए पैसे है माँ बाप की गोली दवाई के लिए जैव खाली कराये बैठे हैं।
माँ के गहने पर मेरा हक़ है पिता की पेंशन पर मेरा हक़ है पर पिता के लोन को चुकाने के लिए औलाद का फर्ज भुला बैठे हैं।।
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क्यों... जब उनकी हर चीज़ पर तुम्हारा हक़ है तो जायदाद को संभाले पर लोन को चुकाने में क्यों मुँह पर हाथ लगाए बैठे हैं।
बेटे या बेटी होने फर्ज़ निभाओ क्यों अपने जमीर को मारकर बैठे है।।
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समय का चक्र गोल है जो किया वो लौटकर यकींन वापस आता है इस बात को क्यूँ नकार बैठे हैं।
आज तुम अपने माँ बाप पर सितम ढाह रहे कल तुम्हारी औलाद ऐसा करेगी क्यों अपने आज को ठोकर मारे जा रहे हैं।।
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याद रखो बदलता वक़्त है पर जो किया कर्म है हमारा सो लौटकर वापस आ ही जाता है।
और कर लो कितने ही तीरथ जो माँ बाप का दिल दुखाता सो कितने कष्टों से घिर जाता है।।
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दुनिया स्वार्थी कहे लालची कहे कुछ भी कहे पर हकीकत तो यही है माँ बाप ने ही हमें दुनिया दिखाई है।
पर कुछ चीजों के कारण माँ बाप की ममता और प्यार पर सवाल उठाना हमने कौनसी बहादुरी दिखाई है।।
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हमसे अगर कोई कुछ कहे हमारा दिल कितनी जल्दी दुःख जाता है और उन्हीं माँ बाप को बच्चा कितना ताना मारता जाता है।
क्यों दिल सिर्फ हमारा है माँ बाप का नहीं फिर क्यों कोई इस बात को समझ नहीं पाता है।।
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ये समाज हमसे बना हम्म समाज से नहीं फिर भी इंसान इस बात को भूल जाता है।
जहाँ दुनिया को बोलना चाहिए वहां मौन रखा जाता और जहां नहीं बोलना चाहिए वहाँ शौर मचाया जाता है।।
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अगर दहेज के नाम पर लग रही किसी बेटी को आग तो पुलिस के डर से उसके चरित्र को बदनाम किया जाता है।
अपनी बेटी को सती बताकर आज का समाज दूसरे की बेटी को गाली बनाता है।।
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औरत ही औरत की दुश्मन बन गई बस तानो से दुनिया चलती जाती है।
कुछ के कारण पूरी औरतों की कौम को दुनिया गलत समझती जाती है।।
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बुराइयाँ सबमे होती कोई दूध का धुला नहीं पर कुछ तो अच्छाई अब ज़माने के सामने आती है।
नहीं तो मानवता अब हर जगह शर्म सार होती हर चौराहे पर नज़र आती है।।
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आईना समाज का हम्म इन्सानों ने बनाया अब ये तस्वीर भी बहुत कुछ कहकर जाती है।
हमें हमारी ही गलती का बार बार एहसास कराती है।।
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अब ये तस्वीर भी बहुत कुछ कहकर जाती है.....✍️👑👑

माधुरी रघुवंशी,,,,,,✍️

 dhuri 

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