जीवन के हर पहलु को बनाकर मोती शब्दों की माला में पिरोया जो कलम उजाकर करेगी।✍️🙏⚔️
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नफ़रत की आड़ में कितने रिश्तों को आग लगाए बैठे हैं।हकीकत है आज की इंसान इंसान को जलाये बैठे हैं।।🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸कैसी ये भूख है लालसा की अपने अस्तित्व को मिटाये बैठे हैं।माँ बाप को घर
मैं भी एक लड़की हूँ दिखने में कमज़ोर लगती हूँ।आजादी है मुझे भी भरपूर पर संस्कारों को साथ लेकर चलती हूँ।। हाँ मैं भी एक लड़की हूँ
जीवन का हर क्षण अनमोल क्या लेकर तू जाएगा।अंधकार से आया है तू क्या जीवन नर्क बनाएगा।।अहम की नैया खोटी पड़ी छल कब तक करता जाएगा।जिस औलाद पर करता ए प्राणी गुमान तू वही चिता पर तुझे सुलाएगा।।जानना है
***********यूँ तो कहूं कुछ धुंधली सी हवा चलती है।*************जब जब होती हूँ परेशान आत्मा माँ बन *****************के बात करती है।।********मन....... बिखरी बिखरी धूल है अहम की पुड़िया जो बनाता हूँ र