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<div>खिलवाड़ करके उसकी अस्मत से शैतानीयत दिखा गए।</div><div>कुछ हैवानियत कि शक्ल में इंसानियत भुला गय
<div>जुल्मों का अंत नहीं इंसान जालिम बना जा रहा है।</div><div>क्या हवा चली इस दौर की इंसान हैवानियत
<div>कलम की धार को तलवार बनाते है।</div><div>हम्म सिर्फ लिखना ही नहीं जानते सुने मन में आश जगाते हैं
<div>माटी की मूरत को अब इंसान बनना होगा।</div><div>बेटी कोई खेल नहीं अब समाज को सुधरना होगा।।</div><div>अब बेटी को उसका मान सबको मिलकर देना होगा।</div><div>जो जन्म देती है सबको उस नारी की भावनाओं को स
उठाकर ज़ज्बातों का फायदा माँ बाप सर नीचा कराते हैं।कॉलेज के नाम पर कई बच्चे सिनेमा हॉल में नज़र आते हैं।।छुट्टी के दिन भी एक्स्ट्रा क्लास कहकर माँ बाप की भावना से खेल जाते हैं।कुछ बच्चों के खातिर पूरी
न समझकर भावार्थ को बैसी दरिंदे बन सामने आते हैं।न रखकर इज्ज़त बेटी कि सूली पर मर्यादा को चढ़ाते हैं।।✍️कपड़ो से पहचान करते व्यवहार को नीचा दिखाते हैं।बताकर खुदको सभ्य कलंकित नारी जात को करते जाते हैं।।✍️