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जादुई चप्पल

Pawan Kumar Sharma kavi kautilya

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जादुई चप्पल मंगल एक साधारण व्यक्ति था ।जंगल में लकड़ी काटकर और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करता था । परंतु पूरे दिन चलते चलते उसके पैर छिल जाते और बहुत दर्द रहता । एक दिन उसे एक महात्मा मिले । उसने महात्मा की खूब सेवा की महात्मा बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने कहा मंगल में तुम्हे एक ऐसी वस्तु देना चाहता हू जिससे तुम अपने साथ रखना । ये तुम्हे हर प्रकार की परेशानी से बचाएगी । और महात्मा ने उसे चप्पल की एक जोड़ी दी बोला हमेशा इसे काम में लेना । मंगल ने ऐसा ही किया । जब भी वह काम पर जाता चप्पल पहन कर जाता तो उसके पैरो में आराम मिल जाता तो काम को शीघ्र कर लेता । जंगल से तुरंत लकड़ियां लाकर बाजार में बेंच देता । मंगल अब तरक्की की राह पर था । समय बीतता गया । एक दिन किसी ने पूछा कि मंगल तुम्हारी तरक्की का कारण क्या है । मंगल ने बहुत सहज भाव से उत्तर दिया ।महात्मा द्वारा दी गई ये जादुई चप्पल है । जिसके पहनने से मुझे बहुत आराम मिलता है । मैं अपने कार्य को जल्दी ही खत्म कर लेता हू। कहानी से शिक्षा यह मिलती है कि जरूरत की छोटी से छोटी वस्तु भी यदि किसी को मिल जाए तो वह उस व्यक्ति के आत्म विश्वास को बड़ा देती है । और उन्नति के मार्ग प्रशस्त करती है । पवन कुमार शर्मा कवि कौटिल्य कवि कौटिल्य 

jadui chappal

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