Rang dhang सारी दुनिया अपनी मानी सबका साथ निभाया, रंग ढंग देख लिया जमाने का कोई काम न आया । देखा मैंने घूम घूम के मन का कोई मिल न पाया । समय समय की बात है अच्छा है तो सब साथ है । जब बुरा समय आया तो सब ने छोड़ा साथ है । चोरी , बैमानी रिश्वतखोर मालामाल नजर आया क्या मतलब ऐसे जीने का आज समझ आया देखी जब मैने उंगली हाथो की मेरी समझ में आया । होती नही समान सभी , ये देखा तो पाया मुझको करना है कर्म अपना , ये में जान पाया । रंग ढंग देख लिया जमाने का कोई मेरे काम न आया । सारी दुनिया अपनी मानी सभी का साथ निभाया । रंग ढंग देख लिया जमाने का कोई मेरे काम न आया । पवन कुमार शर्मा कवि कौटिल्य
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