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बौना पिंकू

Pawan Kumar Sharma kavi kautilya

1 अध्याय
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एक समय की बात है । एक गांव में पिंकू और उसका परिवार रहता था । पिंकू जब पैदा हुआ था तब ही थोड़े दिन बाद ही डॉक्टर ने उसके माता पिता को उसकी शारीरिक कमी के बारे में बता दिया था । कि आपके बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जायेगी । और ऐसा ही हुआ उसकी उम्र बढ़ रही थी । परंतु कद काठी नही बढ़ रही थी । वो बौना ही रह गया था । उसके माता पिता ने शहर के सभी डॉक्टर को दिखाया पर किसी का इलाज काम न आया । अंत में उन्होंने भी हार मान ली । और ईश्वर की यही इच्छा है यह मानकर समय गुजार रहे थे । समय बीता पिंकू की उम्र भी बढ़ रही थी । पिंकू भी अपने कद को देखकर बहुत उदास होता और कभी कभी तो रोने लगता । उसके माता पिता भी ये देखकर बहुत दुखी होते । पिंकू के माता पिता ने सोचा कि पिंकू का दाखिला गांव के किसी स्कूल में करवा दे तो उसका भी स्कूल में मन लगा रहेगा । एक दिन उसको माता पिता स्कूल लेकर चले गए । वहा सभी छात्र उसको देखकर घूरते रहे और हसने लगे । तभी मास्टर जी ने सभी छात्रों को डाटा । और मास्टर जी पिंकू और उसके माता पिता को स्कूल के कार्यालय में लेकर गए । मास्टर जी ने उसका दाखिला स्कूल में कर लिया । उसके माता पिता थोड़े खुश हुए । परंतु पिंकू अभी भी उदास और घबराया हुआ था । वो डर रहा था कि सभी बच्चे उसके साथ मजाक करेंगे कोई उसके साथ खेलेंगे भी नही । तब भी वह मन को मारकर स्कूल गया । ऐसा ही हुआ । सभी बच्चों ने उसका खूब मजाक बनाया । कोई उसके साथ खेलने को भी तैयार नहीं था । वह चुपचाप अकेला ही अपनी कक्षा में बैठकर सभी बच्चों को खेलता और बाते करके देखता और रोता रहता । फिर मास्टर जी आते और उसे दिलासा देकर चुप करवाते । कुछ दिन पिंकू स्कूल गया । फिर थोड़े दिन बाद स्कूल जाने के नाम से कतराने लगा । उसी बीच बीमार भी हो गया । बहुत दिनों तक स्कूल भी नही गया । उसने माता पिता को सारी बात बता दी कि उसका स्कूल में मन नहीं लगता । जितना हो सकेगा वो घर पर पढ़ाई कर लेगा । उसके माता पिता भी उसकी बात मान गए । अब पिंकू घर में ही अपने कमरे में रहने लगा । एक दिन एक मदारी गांव में आया । वो गांव गांव जाकर अपना मजमा लगाता और लोगो और बच्चो को खेल दिखाता था । उसके पास छोटे छोटे दो बंदर और बंदरिया का जोड़ा था । जो करतब दिखाता । 

bauna pinku

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