16 सितम्बर 2021
6 फ़ॉलोअर्स
D
बहुत खूब लिखा है आपने 👍🙏
12 अगस्त 2023
धन्यवाद😊
वाह क्या खूब लिखा है आपने 👌 आप मुझे अपने लाइब्रेरी में जोड़ें 🙏
11 अगस्त 2023
धन्यवाद 😊
<p>अखबारों में लिपट कर उसने सुर्खियां बटोरी...</p> <p>कहता है वो...</p> <p>इसकी तासीर गर्म होती है।।
<div>ये लाल रातों में क्या हुआ है कि इनका रंग उड़ गया है...</div><div>ये ख़ामोश आँखे बस रात भर जाग कर
<div>कुछ "दबे पाँव" ये शहर में चुपचाप चले आते हैं, कुछ सपने अपने बस्ते की ऊपर वाली जेब मे रख कर जिनक
हथेली पर तुम्हारा नाम लिखते हैं... मिटाते हैं...मेट्रो में खड़े खड़े सुमित यहीँ सोच रहा था कि नए शहर ने क्या दिया है, शायद पुराने दोस्त खोये जो शायद दोस्त थे भी नही...वक़्त के साथ दोस्त भी तो कम हो जाते
नमस्कार आप सुन रहे हैं विविध भारती, मीडियम वेव और शार्ट वेव पर अभी आप सुनेंगे राम चरित मानस के कुछ अंश...हमारे दिन की शुरुआत तो कुछ इस तरह होती थी सुबह 7 बजे से ऑन हुआ रेडियो दिन भर के खालीपन को दूर क
"जब शहर छूटते हैं तो क्या होता है?"ये सवाल ही गलत लगता है मुझे, सवाल ये होना चाहिए "जब शहर छूटते है तो कैसा लगता है?"ये बस एक या आधे कागज़ भर की कहानी नही है, ये कहानी उन तमाम सपनो, अपनो और उनके स
सवालों की क़ीमत में जवाबों पर मंदी हावी है.... कुछ इस तरह नफ़े और नुकसान में गुज़र रही ज़िन्दगी अपनी।।
हमारी तमाम बातें अब तो क़ैद हैं इस रंगीन पिटारे मे...मगर इश्क़ तुमसे अब भी रेडियो के दौर वाला है।।।कहते हैं ना वक़्त गुज़रता है चीजें बदलने लगती हैं शहर का चौराहा, कॉलेज की ज़िंदगी और अब तो इश्क़ भी परवान च