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पराया होता हुआ अपना शहर...अपना होता हुआ पराया शहर

12 अगस्त 2023

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"जब शहर छूटते हैं तो क्या होता है?"

ये सवाल ही गलत लगता है मुझे, 
सवाल ये होना चाहिए "जब शहर छूटते है तो कैसा लगता है?"

ये बस एक या आधे कागज़ भर की कहानी नही है, ये कहानी उन तमाम सपनो, अपनो और उनके साथ जुड़ी यादों और बातों की है...

रात करीब 1:30 बजे किसी उलझे से ख़याल में जागते हुए, व्हाट्सएप पर एक मेसेज आता है...

""Hi, कैसे हो?"
जवाब में.. मैं अच्छा हूँ,आप बताइए कैसी हैं आप?"

"हम भी मस्त..."
"अच्छा सुनो, हम लोग नोएडा से शिफ्ट हो रहे हैं, "बैंगलोर"
पतिदेव का ट्रांस्फर होगया है..."

"बढ़िया है..."

"यार पर ये शहर छोड़ने का दिल नही कर रहा, सब कुछ तो है यहाँ अब नए शहर जाकर फिर से सब नया तरीके से करना पड़ेगा..."

"सिर्फ पते बदलते हैं वक़्त फ़िर घूम कर वहीँ लाता है।।।"

सब छूट जाएगा यहाँ का... 
"मन का अंतर्द्वंद्व हमेशा रात में ही लड़ाई को आगे रहता है, उस स्थिति में खयाल और सवाल दोनों ही बवाल मचाते हैं..."

बात बदलते हुए,
"वैसे एक चीज़ जो यहाँ पुरानी हो रही थी वहाँ नई हो जाएयी..."

""वो क्या...

"आपके कपड़े... यहाँ सबने देखे हैं, वहाँ तो सबके लिए नया ही नया होगा..."

वैसे ये तो है कि, "you are the person"

"जिनसे मैं मिलना चाहता था, इन दिनों नोएडा आना नही हुआ और अब तो साउथ जा रहे तो अब जब कभी प्लान बनेगा तब ही आ पाएंगे..."

पता नही आपका अन्तर्द्वन्द मैं खुद में महसूस कर रहा हूँ...

"एक वक्त से ये जो ठहराव की बात करता रहा हूँ, मुझे लगता है ये ठहराव, उस वक़्त पर होगा जब सब शांत होगा जीवन मे..."

मैने देखा हैं शहर किसी शहर का बदलना...
चीजों को पीछे जाते देखना, यादोँ को नज़रो से ओझल होते देखना महसूस करना उन दीवारों को, शहर की खुशबू को, 
चाहे कितनी भीड़ हो फिर भी अपनापन देता है ये शहर...

"अच्छा सुनो...2 बज गया है फिर बात करते हैं।"

जाते जाते ये सुनते जाइये...

"सितारों को आँखों मे महफ़ूज़ रखना बड़ी देर तक रात ही रात होगी...
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी।।।"

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प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने कृपया मेरी कहानी बहू की विदाई के हर भाग पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏

12 अगस्त 2023

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अखबार

15 सितम्बर 2021
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<p>अखबारों में लिपट कर उसने सुर्खियां बटोरी...</p> <p>कहता है वो...</p> <p>इसकी तासीर गर्म होती है।।

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जागती आँखे

16 सितम्बर 2021
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<div>ये लाल रातों में क्या हुआ है कि इनका रंग उड़ गया है...</div><div>ये ख़ामोश आँखे बस रात भर जाग कर

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खामोश शहर

29 अक्टूबर 2021
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<div>कुछ "दबे पाँव" ये शहर में चुपचाप चले आते हैं, कुछ सपने अपने बस्ते की ऊपर वाली जेब मे रख कर जिनक

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कुछ खोया...कुछ कुछ पाया

11 अगस्त 2023
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हथेली पर तुम्हारा नाम लिखते हैं... मिटाते हैं...मेट्रो में खड़े खड़े सुमित यहीँ सोच रहा था कि नए शहर ने क्या दिया है, शायद पुराने दोस्त खोये जो शायद दोस्त थे भी नही...वक़्त के साथ दोस्त भी तो कम हो जाते

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रेडियो लम्हा

11 अगस्त 2023
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नमस्कार आप सुन रहे हैं विविध भारती, मीडियम वेव और शार्ट वेव पर अभी आप सुनेंगे राम चरित मानस के कुछ अंश...हमारे दिन की शुरुआत तो कुछ इस तरह होती थी सुबह 7 बजे से ऑन हुआ रेडियो दिन भर के खालीपन को दूर क

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पराया होता हुआ अपना शहर...अपना होता हुआ पराया शहर

12 अगस्त 2023
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"जब शहर छूटते हैं तो क्या होता है?"ये सवाल ही गलत लगता है मुझे, सवाल ये होना चाहिए "जब शहर छूटते है तो कैसा लगता है?"ये बस एक या आधे कागज़ भर की कहानी नही है, ये कहानी उन तमाम सपनो, अपनो और उनके स

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।।।मंदी।।।

12 अगस्त 2023
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सवालों की क़ीमत में जवाबों पर मंदी हावी है.... कुछ इस तरह नफ़े और नुकसान में गुज़र रही ज़िन्दगी अपनी।।

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रेडियो लम्हा-2

17 अगस्त 2023
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हमारी तमाम बातें अब तो क़ैद हैं इस रंगीन पिटारे मे...मगर इश्क़ तुमसे अब भी रेडियो के दौर वाला है।।।कहते हैं ना वक़्त गुज़रता है चीजें बदलने लगती हैं शहर का चौराहा, कॉलेज की ज़िंदगी और अब तो इश्क़ भी परवान च

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