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जैसे को तैसा ( अंतिम क़िश्त)

27 अप्रैल 2022

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जैसे को तैसा ( कहानी अंतिम क़िश्त)

अब तक --अत: कोर्ट उमेद के वारिसान को यह निर्देश देती है कि उस ज़मीन को जल्द सेठ रतन चंद के नाम से रजिस्ट्री करे या फिर उन्हें उनका 15 लाख रुपिए जल्द से जल्द लौटाए )     इससे आगे

इस आदेश की जब कापी रामगुलाम को मिली तो उसने अपने पिता के द्वारा लिखी पावर आफ़ एटार्नि को माथुर वक़ील कोर्ट के आगे प्रस्तुत करने दिया और कहा कि सेठ रतन चंद ने जो स्टांप पेपर  दिखाये हैं । वह पूरी तरह से फ़र्ज़ी है । क्यूंकि मेरे पिताजी की दस्ख़त के नीचे जो तारीख डाली गई है उस समय मेरे पिता उमेद जी मेरे साथ कश्मीर में थे । इस बात की तस्दीक हर तरीके से की जा सकती है । लेकिन माथुर वक़ील ने उन कागजात का क्या किया पता नहीं चला। वैसे  रामगुलाम के पास अपने पिता के द्वारा दिये 2 पावर आफ एटॉर्नी थी । वह कुछ सोचकर नए वाले एटॉर्नी  को अपने पास रखकर दो दिन पुराने वाले पावर आफ एटॉर्नी को ही माथुर को दे दिया । रामगुलाम के पक्ष में विभिन्न कागजात रहने के बाद भी केस का निर्णय सेठ रतन चंद के पक्ष में चला गया । 

इस तरह बहुत समय बीत गया था । अब रामगुलाम के बटालियन की एक शाखा दुर्ग शहर में भी पोस्ट कर दी गई थी । वहां मालखाना बनाकर बहुत सारे हथियारों को रखा जाने लगा था और रामगुलाम की पोस्टिंग दुर्ग मालखाने में हो गया । दुर्ग के मालखाने में चौबीसों घंटे 2 सैनिक पारी पारी से तैनात रहते थे । दुर्ग में तैनाती के  कुछ दिनों बाद ही रामगुलाम को पता चला कि वह केस हार गया है । रामगुलाम को महसूस हो चुका था कि इस हार में मुख़्य भूमिका माथुर वक़ील की ही थी । साथ ही न्यायाधीश भी शायद उनसे मिला हुआ था। यह जान कर रामगुलाम का खून खौलने लगा और वह कुछ विशेष करने के बारे में प्लान करने लगा । 

सबसे उसने दिल्ली चोर मार्केट से एक अच्छी पिस्टल का जुगाड़ किया । और वक़्त के इंतज़ार में लगा रहा । 
जुलाई की एक रात दुर्ग रायपुर में अच्छी खासी बारिश हो रही थी । उस दिन रामगुलाम की दुर्ग मालखाने में रात्रि पाली की ड्यूटि थी । वह पौने आठ बजे दुर्ग मालखाने में पहुंच गया । वे दो लोग ड्यूटि पे तैनात थे । सामान्यत: दोनों में से एक रात्रि 10से 2बजे तक सोता था और दूसरा सजग रहता था फिर 2 बजे के बाद दूसरा सिपाही सोता था पहले वाला जाग कर ड्यूटि करता था । उस रात रामगुलाम ने रात्रि 2 बजे के बाद जागने वाली ड्यूटि करने का फ़ैसला किया था । रामगुलाम रात्रि  9 बजे ही सो गया और उसका दूसरा साथ बाबूलाल 2 बजे तक जागता रहा । लगभग देड़ बजे रामगुलाम सोकर उठा तो देखता है कि बाबूलाल बैठे बैठे झपकी मार रहा है तो उसे ठीक से सोने के लिए कह कर ख़ुद ड्यूटि पर तैनात हो गया । उधर बाबूलाल तुरंत ही गहरी नींद की आगोश में चला गया । तब प्लान के अनुसार रामगुलाम  अपने मोबाइल को वहीं कुर्सी पर छोड़कर , भीगते बारिश में अपनी मोटर सायकिल के सहारे रायपुर की ओर रवाना हो गया । और अपने प्लान के अनुसार रायपुर में सेठ रतन चंद , वक़ील माथुर को मौत के घाट उतारकर सुबह 5 बजे तक वापस दुर्ग मालखाने में आकर ड्यूटि करने लगा । जज गुप्ता से बदला लेने की बात को वह कुछ सोचकर टाल दिया।
उधर सुबह 8 बजे जैसे ही यह बात लोगों के संज्ञान में आई कि रायपुर शहर में दो लोगों का क़त्ल हो गया है तो वहां के प्रशासन में हड़कंप मच गया । सारा पोलिस महकमा कत्ल की वजह और क़ातिल का सुराग पाने में जुट गया । फ़ारेन्सिक विभाग की मदद ली गई । 
कड़ियों को जोड़ने से पोलिस अधिकारियों की नज़र रामगुलाम पर जा कर टिक गई । पता साज़ी की गई तो पता चला कि वह तो रात भर दुर्ग के मालखाने में अपने साथी बाबूलाल के साथ ड्यूटि पर था । बाबूलाल उसका गवाह था । फिर रामगुलाम के मोबाइल की काल डिटेल ली गई तो उसमें से भी कुछ संदेहास्पद चीज़ें हासिल नहीं हुई । इस तरह साल गुज़र गया पर पोलिस वालों को कोई ठोस सुराग इन क़त्लों का नहीं मिल पाया । हालाकि बीच बीच में उन्हें रामगुलाम पर संदेह ज़रूर होता था । पर उसके पास अपनी ड्यूटि के पुख़्ता सबूत थे साथ ही बाबूलाल उसका मुख्य एलीबाई था । बाबूलाल ने बयान दिया था कि उस दिन वे दोनों हमेशा की तरह  रात भर जागते हुए  अपनी ड्यूटि निभाई थी  । न ही रामगुलाम 2 मिन्टों के लिए भी मालखाने से बाहर गया था । इस तरह और कुछ बरस गुज़रे तो इन क़त्लों की फ़ाइल बंद कर दी गई । 
अब रामगुलाम फ़ौज़ की नौकरी से रिटायर्ड हो चुका है
 वह अपने पिता के द्वारा दिए गए दूसरी पावर आफ़ एटार्नी के दम पर उच्च अदालत से अपनी ज़मीन को सेठ रतन चंद के वारिशों से जीत भी चुका है और अपनी ज़मीन को अपने कब्ज़े में भी ले चुका है । अपनी ज़मीन को वापस प्राप्त करने के बाद रामगुलाम रायपुर में अपने एक दोस्त के साथ  मिलकर कोलोनाइजेशन और बिल्डर का काम भी प्रारंभ कर चुका है ।  
आज रामगुलाम और उसके दोस्त का एक प्रोजेक्ट का उद्घाटन होने जा रहा है ।  इस कार्यक्रम का उद्घाटन छत्तीसगढ राज्य के मुख़्य मंत्री करने जा रहे हैं । रामगुलाम ने अपनी कंपनी का नाम अपने पिता के नाम से “ उमेद बिल्डर एन्ड डेवलपर्स रखा है “ । मुख़्य मंत्री बस पहुंचने ही वाले हैं । रायपुर शहर के बहुत सारे गणमान्य नागरिक इस समारोह का गवाह बनने उपस्थित हैं । मंत्री महोदय ने अपने  का स्वागत के बाद अपने उद्बोधन में कह रहे हैं कि मैं उमेद बिल्डर और डेवलपर्स से जुड़े हर शख़्स को बधाई व शुभकामनाएं देता हूं और उनकी दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की की कामना करता हूं । साथ ही मैं यह भी कहना चाहताहू कि हर व्यापार और प्रोफ़ेशन की सफ़लता का मूल मंत्र होताहै ईमानदारी , कड़ी मेहनत , कानून का पालन और गैरों के प्रति सदभाव । मैं उम्मीद करता हुं कि रामगूलाम जी और उसके परिवार के सदस्य व्यापार के इन मूल मंत्रों का दिल से पालन करेंगे । 
  जय भारत – जय छत्तीसगढ – जय भारतीय न्याय प्रणाली।

( समाप्त)
काव्या सोनी

काव्या सोनी

Accha likha aapne 👌

30 अप्रैल 2022

Sanjay Dani

Sanjay Dani

1 मई 2022

Thanks Kaavyaa ji .

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रचनाएँ
जैसे को तैसा ( कहानी प्रथम क़िश्त)
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रामगुलाम एक फौजी था । उसके पिताजी उमेद ने एक सेठ के पास अपनी एक एकड ज़मीन को गिरवी रखकर उधार में 50हज़ार रुपिये लिये थे। कुछ वर्ष बीत जाने के बाद उस सेठ की नियत में खोट आ गई और वह उस ज़मीन को हड़पने का षड़यंत्र रचने लगा। तब फौजी बेटे ने अपना तरीका आज़माने का मन बना लिया।
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जैसे को तैसा ( कहानी प्रथम क़िश्त)

25 अप्रैल 2022
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----जैसे को तैसा---( कहानी प्रथम क़िश्त)राम गुलाम 12वीं पास करके थल सेना में सैनिक के रुप में जाने का मन बनाकर अपना आवेदन भी थल सेना के द्वारा ज़ारी एक विग्यापन के माद्ध्यम से ज़मा कर चुका था । उनक

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जैसे को तैसा ( कहानी दुसरी क़िश्त)

26 अप्रैल 2022
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-----जैसे को तैसा-----( कहानी दूसरी क़िश्त) रामगुलाम जब घर वापस आया तो तमतमाया हुआ उसका चेहरा देख , उसके पिता उमेद ने पूछा कि क्या हुआ ? तब रामगुलाम ने सारी बातें बताते हुए कहा कि सेठ रतन चंद के म

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जैसे को तैसा ( कहानी अंतिम क़िश्त)अब तक --अत: कोर्ट उमेद के वारिसान को यह निर्देश देती है कि उस ज़मीन को जल्द सेठ रतन चंद के नाम से रजिस्ट्री करे या फिर उन्हें उनका 15 लाख रुपिए जल्द से जल्द लौटाए )&nbs

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