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जैसे को तैसा ( कहानी प्रथम क़िश्त)

Sanjay Dani

3 अध्याय
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रामगुलाम एक फौजी था । उसके पिताजी उमेद ने एक सेठ के पास अपनी एक एकड ज़मीन को गिरवी रखकर उधार में 50हज़ार रुपिये लिये थे। कुछ वर्ष बीत जाने के बाद उस सेठ की नियत में खोट आ गई और वह उस ज़मीन को हड़पने का षड़यंत्र रचने लगा। तब फौजी बेटे ने अपना तरीका आज़माने का मन बना लिया। 

jaise ko taisaa khaanii prthm qisht

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पुस्तक के भाग

1

जैसे को तैसा ( कहानी प्रथम क़िश्त)

25 अप्रैल 2022
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----जैसे को तैसा---( कहानी प्रथम क़िश्त)राम गुलाम 12वीं पास करके थल सेना में सैनिक के रुप में जाने का मन बनाकर अपना आवेदन भी थल सेना के द्वारा ज़ारी एक विग्यापन के माद्ध्यम से ज़मा कर चुका था । उनक

2

जैसे को तैसा ( कहानी दुसरी क़िश्त)

26 अप्रैल 2022
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-----जैसे को तैसा-----( कहानी दूसरी क़िश्त) रामगुलाम जब घर वापस आया तो तमतमाया हुआ उसका चेहरा देख , उसके पिता उमेद ने पूछा कि क्या हुआ ? तब रामगुलाम ने सारी बातें बताते हुए कहा कि सेठ रतन चंद के म

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जैसे को तैसा ( अंतिम क़िश्त)

27 अप्रैल 2022
1
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जैसे को तैसा ( कहानी अंतिम क़िश्त)अब तक --अत: कोर्ट उमेद के वारिसान को यह निर्देश देती है कि उस ज़मीन को जल्द सेठ रतन चंद के नाम से रजिस्ट्री करे या फिर उन्हें उनका 15 लाख रुपिए जल्द से जल्द लौटाए )&nbs

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