जल ही जीवन है कि धारणा हमारे सभी के मन में है लेकिन क्या हम सही मायने में जल संरक्षण कर रहे है। सरकार दुनियां का पैसा जलसंरक्षण के लिए प्रचार में और लोगों को जागरूक करने में खर्च कर रही है। लेकिन हम हैं कि मानते ही नहीं हैं। आप किसी भी शहर और गांव में चले जाइए आप देखेंगे कि लोग पानी को केसे बर्बाद करते दिख जाएंगे। चाहे गांव हो या शहर सुबह और शाम में आप लोगो को देखेंगे की सड़क को गीला करते दिख जाएंगे। उन्हे ये समझ में नहीं आ रहा है की पानी का जलस्तर कितना नीचे चला गया है और लोगों के पास पीने का पानी नहीं है लेकिन लोग फिर भी पानी को बर्बाद करते दिख जाएंगे। गांवों में तो लोगों का बहुत बुरा हाल है हर घर में समरसेबल लगी हुई है एक लोटे पानी के लिए भी समर्सेबल चलाएंगे। आपको अगर पानी की कीमत समझनी है तो आप बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश में ही देख सकते है। बेचारे हमीरपुर के लोग जो मौदहा के पास कसोलर गांव है वहां की स्थिति देख के ही रोंगटे खडे हो जाते है। जब मैने देखा लोग पीने के लिए पानी बेतवा नदी से लेकर आते है । लोगों को समझना होगा नहीं तो आगे आने वाले दिनों में हम सभी को आपस में पानी के लिए ही लड़ना पड़ेगा। कृपया लोगों से विनम्र निवेदन है कि पानी की कीमत को समझें और पानी को सड़क गीली करने या गोबर बहाने में पानी को बर्बाद न करे बरसात के पानी को कही तालाब या पानी को रीसाइक्लिंग करे। अथवा अपने आस पास एक पक्का टैंक बनवा के स्टोर करे पानी ही तो जीवन है । मनुष्य ही नही पानी से हमारे पालतू जानवर और जंगल के जानवरों का भी जीवन संरक्षित होगा और प्रकृति का संतुलन बना रहेगा । सभी खुशहाल होंगे जीवन आनंदित होगा आप सभी से ऐसी आशा और अनुरोध है ।
आपका
अमरेन्द्र सिंह