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जननी

अनिल अनूप

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समाज की उपेक्षित और तिरस्कृत महिलाओं पर विविध विषयों से संबंधित कहानियां 

janani

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पुस्तक के भाग

1

होश संभाला तो खुद को कोठे पर पाया

11 अप्रैल 2022
2
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अनिल अनूप [पैसों के लिए मां-बाप ने मुझे कोठे पर बिठा दिया. वहां से भागकर रेलवे स्टेशन पहुंची. रोटी से ज्यादा आसानी से वहां नशा मिलता था.]तब मैं पेट से थी. सड़क पर रहती. जरूरत के समय दवा-दारू तो दूर, ए

2

डर हार गई हिम्मत जीत गई...

14 अप्रैल 2022
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अनिल अनूप उस दिन हिम्मत और डर की गज़ब लड़ाई हुई थी। सुबह उठ के घर के सारे काम किये, बिना किसी को ये एहसास दिलाए की आज उन्हें जाना था किसी को खुद को समर्पित करने, समाज के बंधन तोड़ने। उनके मन में हज़ार सं

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अस्तित्व से खिलवाड़

14 अप्रैल 2022
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-अनिल अनूप चाचा अक्सर हमारे घर आते थे. बहुत हंसमुख और मिलनसार किस्म के थे वो. कभी बच्चों के लिए संतरे लाते तो कभी बेकरी वाले बिस्किट. सभी लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे, लेकिन मुझे वो रत्ती भर भी पसंद न

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"पांच" पत्र

1 मई 2022
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अनिल अनूप [ हरिमोहन झा आधुनिक मैथिली साहित्य के शिखर-पुरुष हैं, उन्हें हास्य-व्यंग्य सम्राट कहा जाता है़ मैथिली के आरंभिक कहानीकारों में वे शीर्षस्थ रहे हैं. वैसे तो उनकी ज़्यादातर कहानियों में व

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