इंसान में इंसानियत होती है और जानवरों में? कोई कहता है हैवानियत तो कोई कहता है वहशियत जबकि ये सब कुछ इंसानों में ही होती है. इंसानियत, वहशियत और हैवानियत. जानवरों में होती है जांवरीयत जो इंसानियत से कही बेहतर है. जानवरों में लोभ नहीं होता, जानवरों में बदले की भावना नहीं होती, जानवर किसी की ना तो हत्या करता है ना ही हत्या की साजिश रचता है, जानवर सिर्फ और सिर्फ अपने भोजन के लिए शिकार करता है जिसे हत्या नहीं कहा जा सकता. जानवरों का कोई धार्मिक भेद-भाव नहीं होता क्योकि उन सबका एक ही धर्म है जांवरीयत , कोई जातीय झगड़ा नहीं एक ही ज़ात है जानवर. ना कोई शादी के लिए घोड़ी चढ़ता है ना ही घोड़ी से उतारा जाता है. हम कहते है इंसान में इंसानियत होनी चाहिए , हमें इसके विपरीत कहना चाहिए कि इंसान में जांवरीयत होनी चाहिए.