आओ चले बचपन में
आओ चले बचपन में, फिर हों सभी अमीर !डांट खाएं बापू से, मां से खाएं खीर !मां से खाएं खीर, न कोई हो फिर टेंशन !कि हर गली-नुक्कड़ में, दिखाएं हम हर एक्शन !कहे 'सहज' कविराय, जीवन रसमय बनाओ !फिर से खेलें-कूदें, मिट्टी में मिलकर आओ !..................... - जेपी सहज