इस संसार में सभी जीव एक दूसरे से सम्बंधित हैं। यह जानना मनुष्य के लिए जरूरी और प्राथनीय भी है। जिस ग्रह में हम रहते हैं उस ग्रह के हम चेतनावान प्राणी हैं ऐसा हम मानते हैं ये हमारे द्वारा ही माना गया है कि पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान प्राणी हम मनुष्य ही हैं। किन कारणों से--------- हम जमीन से ऊपर उठे आदम से सभ्य रुप में आए,हमने जंगलो से घर बनाना सीखा जो आज ऊँची इमारत में तब्दील है। हमने कच्चे मांस या वनस्पति जगत से भोजन लेकर उसे आग में पकाकर और स्वादिष्ट बनाया। हमने नंगे पाँव व बदन से एक कदम आगे चलकर कपड़े पहने। तन को ढाका। हमने आकाश को भी छुआ और चांद पर पग भी रखे।हमने अन्य जीव जन्तु पर विजय प्राप्त किया। तभी हमने माना कि हम अन्य जीवों से ऊपर उठे हैं हमारा विकास हुआ है हम चेतना के उच्चस्तर पर हैं । हमने लड़ाईया भी लड़े अच्छे को अच्छा व बुरे को बुरा कहा।
इस तरह हमारा विकास होता गया और इस पृथ्वी पर हम व्यापक होते गए। ये सोचते रहे कि हमसे बढ़कर और कोई नही हम ईश्वर को मानते व झुठलाते रहे। जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे हमे पता चला कि किसी के न होने से हमे भी इफेक्ट होता हैं। यदि पानी नही होगा तो हम भी नही होंगे यदि मिट्टी नही होगी तो भोजन भी नही होगा यदि कोई जानवर नही होगा तो हमे भी रहने में असुविधा होगी। कितने पेड़ काँटे जिसका असर ये हुआ कि कही सूखा तो कही बाढ़ ने कहर ढाया। रासायनिक खाद व कीटनाशकों के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि तो हुआ पर हमारी उम्र कम हो गई। धरती बंजर मिट्टी जहरीला हुआ। आज कई शारिरीक बीमारियों का शिकार हुए हैं।
हम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं आज हमें अच्छी तरह पता चल गया है। नदी के नही होने से हमे पानी कहाँ मिलेगा पेड़ पौधे हमे फल व सब्जी प्रदान कर रहे हैं। एक चीटी भी हमे संदेश देती व हमारे लिए कार्य कर रहे हैं। अपने आस पास ही देख लो सब अपने कार्य में लगे हैं चिडियाँ चहक रही हैं गाय जुगाली कर रही हैं। गिलहरी अब भी अपने आप में मस्त है। बंदरो का झुण्ड किसी पेड़ पर कूद रहे हैं। पेड़ो के पत्ते हिल रहे हैं सब अपनी सीमा में रहकर जीवन जी रहे है इतनी हलचल न होती तो मनुष्य अकेला कैसे रहता। पर हमने सीमा लाँघी जानवर को बन्धक बनाया,जंगल को उजाड़ दिया,हवा को प्रदूषित कर दिया,कचरे के ढेर का अम्बार लगा दिया। अपने ही भोजन को खराब कर दिया। कैसे हमने कहा कि "हम चेतना के ऊँचे स्तर पर है।"
save tree🌲save earth🌏&save life💖