संगीता पीयूष गुप्ता
रचनाकार - दोस्तो मैं ना कविता लिखती हूँ ना कोई छंद लिखती हूँ, अपने आसपास पड़े हुऎ टाट पै कुछ पैबंद लिखती हूँ। ना मै कोई कवित्री हूँ, ना ही कोई अखबार हूँ। बस जो दुनिया में घटता देखती हूं अपने आस पास हर समय उस खबर को अपने कागज पर लिखती हूं, मेरी लेखनी दिल के भाव और किसी खास की खुश के सिवा कुछ नहीं। मेरा ये शौक उपजा 58 वर्ष की उम्र में। मेरी लिखी पंक्तियां किसी ना किसी के जीवन से जुड़ी है, अगर आपको मेरी लेखनी पसंद आए तो bell बटन और subscribe बटन दबाइए, मेरे हौसला अफजाई के लिए और जुड़े रहिए आने वाले लेखों के लिए sangitaaguptaahr@gmail.com
रिश्तो के रंग
रिश्ते कुछ दिल से कुछ सामाजिकता के। समय-समय पर रंग बदलते हैं रिश्ते कुछ खट्टे कुछ मीठे, कुछ प्यार के कुछ जबरदस्ती के निभाए ये रिश्ते
रिश्तो के रंग
रिश्ते कुछ दिल से कुछ सामाजिकता के। समय-समय पर रंग बदलते हैं रिश्ते कुछ खट्टे कुछ मीठे, कुछ प्यार के कुछ जबरदस्ती के निभाए ये रिश्ते