जापान का सुप्रसिद्ध खेल जूडो को मार्शल आर्ट भी कहते हैं जिसे आमतौर पर आत्मरक्षा के लिए लोग सीखते हैं। जापान से उपजे इस खेल को भारत सहित कई देशों में खेला जाता है. यह खेल ओलंपिक का भी हिस्सा और भारत में भी जूडो लोग बहुत ही पसंद करते हैं और काफी संख्या में लोग इसे खेलते हैं, साथ ही इसके बारे में जानने की चाहत रखते हैं।
जूडो कैसे खेला जाता है ?
जूडो खेलने के लिए दोनो खिलाड़ी रिंग में आते हैं और जज और रैफरी का अभिवादन करते हैं. रेफरी के इशारे पर खेल शुरू होता है और दोनों खिलाड़ी अलग-अलग दांव पेंच लगाकर एक-दूसरे को आगे-पीछे धकेलते हैं. खिलाड़ी जब विरोधी की पकड़ से खुद को आजाद नहीं करा पाते हैं तब खिलाड़ी हार मान लेता है.
जूडो खेलने के लिए दोनो खिलाड़ी रिंग में आते हैं और जज और रैफरी का अभिवादन करते हैं. रेफरी के इशारे पर खेल शुरू होता है और दोनों खिलाड़ी अलग-अलग दांव पेंच लगाकर एक-दूसरे को आगे-पीछे धकेलते हैं. खिलाड़ी जब विरोधी की पकड़ से खुद को आजाद नहीं करा पाते हैं तब खिलाड़ी हार मान लेता है. खेल तीन से 20 मिनट के बीच खेला जाता है. यदि स्कोर टाई होते हैं, तो बाउट गोल्डन स्कोर ’या ओवर टाइम में चला जाता है. एक और स्कोर हासिल करने वाला पहला प्रतियोगी को विजेता चुना जाता है.