यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईबिटिया के पीले हाथ कौन करेगाशहनाइयों का काम अब मौन करेगादायित्वों का निर्वहन कौन करेगाजान पर खेलकर गुजर गया कोईयह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईअंधेरा कितन
मित्र कल से आज के बदले समय में, रूठ जायें हम तो फिर आश्चर्य क्या है.