❤️ कपालभाति क्रिया (kapalbhati kriya)
प्राणापान समायुकत प्राणायाम इतिरित ।
प्राणायाम इति प्रोक्त रेचक पूरक कुमभक।।
अर्थात, जिसमें रेचक पूरक कुम्भ क तीनों हो वही प्राणायाम होगा।-- ।*
🍁॥ कपालभाती, षटकर्म की यह केवल एक शुद्धि क्रिया (प्राणायाम नही), परन्तु श्वास प्रश्वास के जैसी की जाती है॥*
*कपालभाती षटकर्म क्रिया के विषय में अति उत्तम जानने योग्य बातें। *
*कपालभाति नामक षटकर्म क्रिया को रोग दूर करनेवाले श्वास प्रश्वास क्रिया के रूप में देखा जाता है। मैने ऐसे रोगियों को देखा है, जो बिना बैसाखी के चल नही पाते थे, लेकिन नियमित कपालभाति क्रिया करने के बाद उनकी बैसाखी छूट गई और वे न सिर्फ चलने, बल्कि दौड़ने भी लगे। कपालभाती क्रिया करने वाला साधक आत्मनिर्भर और स्वयंपूर्ण हो जाता है।
*कपालभाती क्रिया से हार्ट के ब्लॉकेजेस् पहिले ही दिन से खुलने लगते हैं और 15 दिन में बिना किसी दवाई के वे पूरी तरह खुल जाते है।
*कपालभाती क्रिया करने वालों के हृदय की कार्यक्षमता बढ़ती है, जबकि हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाने वाली कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है। कपालभाति करनेवालों का हृदय कभी भी अचानक काम करना बंद नहीं करता, जबकि आजकल बड़ी संख्या में लोग अचानक हृदय बंद होने से मर जाते हैं।
*कपालभाति क्रिया करने से शरीरांतर्गत और शरीर के ऊपर की किसी भी तरह की गाँठ गल जाती है, क्योंकि कपालभाति क्रिया से शरीर में एक उत्तम उर्जा का निर्माण होता है, जो गाँठ को गला देती है, फिर वह गाँठ चाहे ब्रेस्ट की हो अथवा अन्य कहीं की। ब्रेन ट्यूमर हो अथवा ओव्हरी की सिस्ट हो या यूटेरस के अंदर फाइब्रॉईड हो, क्योंकि सबके नाम भले ही अलग हो, लेकिन गाँठ बनने की प्रक्रिया एक ही होती है।
*कपालभाति क्रिया से बढा हुआ कोलेस्टेरोल कम होता है। विशेष बात यह है कि, मैं कपालभाति प्रारंभ करने के प्रथम दिन से ही रोगी की कोलेस्टेरॉल की गोली बंद होने लगती है।
*कपालभाति से बढा हुआ इएसआर, युरिक एसिड, एसजीओ, एसजीपीटी, क्रिएटिनाईन, टीएसएच, हार्मोन्स, प्रोलेक्टीन आदि सामान्य स्तर पर आ जाते है।
कपालभाति करने से हिमोग्लोबिन एक महिने में 12 तक पहुँच जाता है, जबकि हिमोग्लोबिन की एलोपॅथीक गोलियाँ खाकर कभी भी किसी का हिमोग्लोबिन इतना बढ़ नहीं पाता है। कपालभाति से हीमोग्लोबिन एक वर्ष में 16 से 18 तक हो जाता है। महिलाओं में हिमोग्लोबिन 16 और पुरुषों में 18 होना उत्तम माना जाता है।
*कपालभाति से महिलाओं के मासिक धर्म की सभी शिकायतें एक महिने में सामान्य हो जाती है।
*कपालभाति से थायरॉईड की बीमारी एक महिने में ठीक हो जाती है। इसकी गोलियाँ भी पहिले दिन से बंद की जा सकती है।
*इतना ही नहीं, कपालभाति करने वाला साधक 5 मिनिट में मन के परे पहुँच जाता है। गुड़ हार्मोन्स का सीक्रेशन होने लगता है। स्ट्रेस हार्मोन्स समाप्त होने लग जाते है। मानसिक व शारीरिक थकान नष्ट हो जाती है। इससे मन की एकाग्रता भी आती है।
*कपालभाति षटकर्म क्रिया(नेति, धौती, वस्ति, त्राटक, न्यौली और कपालभाति) के कई विशेष लाभ भी हैं।*
*कपालभाति से खून में प्लेटलेट्स बढ़ते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स या रेड ब्लड सेल्स यदि कम या अधिक हुए हो, तो वे निर्धारित मात्रा में आकर संतुलित हो जाते हैं। *कपालभाती शोधन क्रिया से सभी कुछ संतुलित हो जाता है*। ना तो कोई अंडरवेट रहता है, न ही कोई ओव्हरवेट रहता है। अंडरवेट या ओव्हरवेट होना, दोनों ही बीमारियाँ है।
*कपालभाति से कोलायटीस, अल्सरीटिव्ह कोलायटीस, अपच, मंदाग्नी, संग्रहणी, जीर्ण संग्रहणी, आँव जैसी बीमारियाँ ठीक होती है। काँस्टीपेशन, गैसेस, एसिडिटी भी ठीक हो जाती है। पेट की समस्त बीमारियाँ ठीक हो जाती है।
*कपालभाति से श्वेत दाग, सोरायसिस, एक्झिमा, ल्युकोडर्मा, स्कियोडर्मा जैसे त्वचारोग ठीक होते हैं। स्कियोडर्मा पर कोई दवाई उपलब्ध नही है, लेकिन यह कपालभाति से ठीक हो जाता है। अधिकतर त्वचा रोग पेट की गड़बड़ी से होते हैं। जैसे-जैसे पेट ठीक होता जाता है, ये रोग भी ठीक होने लगते हैं।
*कपालभाति से छोटी आँत को शक्ति प्राप्त होती है, जिससे पाचन क्रिया सुधर जाती है। पाचन ठीक होने से शरीर को कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन्स इत्यादि उपलब्ध होने से साइनोवियल लिक्विड और उसकी डिस्क, लिगैमेंट्स, हड्डियाँ ठीक होने लगती हैं और 3 से 9 महिनों में अर्थ्राइटीस, ओस्टियो अर्थ्राइटीस, ओस्टियो पोरोसिस जैसे हड्डियों के रोग ठीक हो जाते हैं।
*ध्यान रखिये की कैल्शियम, प्रोटीन्स, हिमोग्लोबिन, व्हिटैमिन्स आदि को अपना शरीर बिना पचाए, बाहर निकाल देता है, क्योंकि केमिकल्स से बनाई हुई इस प्रकार की औषधियों को शरीर द्वारा सोखे जाने की प्रक्रिया हमारे शरीर के प्रकृति में ही नहीं है।*
*हमारे शरीर में रोज 10 % बोनमास चेंज होता रहता है। यह प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक निरंतर चलती रहती है। अगर किसी कारणवश यह बंद हुई, तो हड्डियों के विकार हो जाते हैं। कपालभाती इस प्रक्रिया को निरंतर चालू रखती है। इसीलिए कपालभाति नियमित रूप से करना आवश्यक है।
सोचिए, यह केवल एक क्रिया, कितनी लाभकारी है। इसीलिए नियमित रूप से कपालभाति षटकर्म क्रिया करना, यह एक उत्तम व्यायाम-प्रक्रिया है।
🙏🙏डॉ त्रिभुवन नाथ श्रीवास्तव, प्राचार्य, विवेकानंद योग प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय एवम् चिकित्सालय, बाजोर, सीकर, राजस्थान🙏🙏❤️🙏🙏