🙏🙏आज है तुलसी पूजन दिवस, पौष, कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि, सम्वत 2078, शनिवार हर वर्ष (25 दिसंबर )को यह दिवस मनाया जाता है, तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि धरा के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है।,हर�कहते हैं कि भगवान श्री राम ने गोमती तट पर और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने तुलसी लगायी थी। अशोक वाटिका में सीता जी ने रामजी की प्राप्ति के लिए तुलसी जी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर पार्वती जी ने शंकर जी की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था। डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के अनुसार 'तुलसी' में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है ।
🙏🙏आज है तुलसी पूजन दिवस, पौष, कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि, सम्वत 2078, शनिवारहर वर्ष 25 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है, तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि धरा के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है। धरा के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है।
🙏कहते हैं कि भगवान श्री राम ने गोमती तट पर और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने तुलसी लगायी थी। अशोक वाटिका में सीता जी ने रामजी की प्राप्ति के लिए तुलसी जी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर पार्वती जी ने शंकर जी की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था। डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के अनुसार 'तुलसी' में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है ।
तुलसी संक्रामक रोगों, जैसे -टी.बी., मलेरिया इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है।
तुलसी का पौधा उच्छ्शवास में ओजोन वायु छोडता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है।यूनिवर्सल स्केनर के अनुसार यदि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की 9 बार परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव-क्षेत्र में वृद्दि होती है।
तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में विद्युतीय शक्ति का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की आयु बढ़ती है।आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया हैं
सालों से तुलसी के पौधे का उपयोग औषधीय रूप में किया जा रहा है। हिन्दू धर्म में इसे औषधीय मूल्य पौधा कहा गया है। वहीं आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है, क्योंकि यह औषधि के रूप में काम आती है। कहा जाता है कि जिसके घर में तुलसी का पौधा होता है, उसके यहां हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। शास्त्रों में मिलता है कि भगवान श्री हरि भोग को स्वीकार नहीं करते यदि उसमें तुलसी के पत्ते नहीं हों।
आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया गया है। माना जाता है कि रविवार, सूर्य ग्रहण, एकादशी, संक्रान्ति, द्वादशी, चंद्रग्रहण और संध्या काल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए. मान्यता के अनुसार, एकादशी पर मां व्रत करती हैं इसलिए इस दिन पत्ते तोड़ने से घर में गरीबी आती है।
🙏आज मनाया जा रहा है तुलसी पूजन दिवस, जानिए पूजन विधि व महत्व
🙏शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
🙏इस बात को तो सब जानते ही हैं कि 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस का त्योहार ईसाइयों द्धारा मनाया जाता है। लेकिन इस बात को बहुत कम लोग जानते होंगे कि इस दिन तुलसी पूजन दिवस भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे पूजनीय माना गया है और आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है, क्योंकि ये औषधि का काम भी करती है। बता दें कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सदैव सुख-शांति का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते के बिना भगवान श्री हरि भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
🙏पूजन विधि🙏
सुबह अपने नैतिक कार्यों से निवृत होकर मां तुलसी की पूजा करनी चाहिए।
पहले कुमकुम से उनका टीका करना चाहिए और उसके बाद उनकी आरती करके जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते वक्त आपको निम्नलिखित मंत्र पढ़ने चाहिए।
🙏मंत्र🙏
महाप्रसादजननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
🙏इसके बाद तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए, जोकि अपनी सुविधानुसार 7, 11, 21 या 111 परिक्रमा कर सकते हैं और उसके बाद मां तुलसी का ध्यान कीजिए।
🙏भगवान को किसी भी वस्तु का भोग लगाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करना चाहिए। तुलसी पूजा सुबह ही नहीं आप आज कभी भी कर सकते हैं।
🙏तुलसी के नाम
वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी
🙏कहते हैं कि जो व्यक्ति तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
🙏स्कंद पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है अथवा प्रतिदिन पूजन होता है, उस गर में यमदूत प्रवेश नहीं करते। तुलसी की उपस्थिति मात्र से नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है।
🙏गरुड पुराण के अनुसार तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर नष्ट हो जाते हैं। आज के दिन केवल तुलसी की पूजा ही नहीं होती है बल्कि एक अभियान के तहत घर-घर तुलसी का पौधा लगाया जाता है।
डॉ त्रिभुवन नाथ श्रीवास्तव, प्राचार्य, विवेकानंद योग प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय एवम् चिकित्सालय, बाजोर, सीकर, राजस्थान।