20 नवम्बर 2021
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छवि धूमिल सी,घटा अभि-रिक्त सी मानस रूप अभी दिखा नही!!D
<div>कुछ दूर सा हूँ <span style="font-size: 1em;">अब मैं उससे,</span></div><div>लगता नहीं अब<sp
<div>इश्क की करवट अब,</div><div>बदली सी हैं लगती</div><div>जाने किस दिशा में,</div><div>तेरा इश्क मु
<div>सफर का सिलसिला,</div><div><span style="font-size: 1em;">इस तरह यूँ शुरू हुआ!</span><span style=
<div>कुछ समय रुक के देखो,</div><div>कुछ पल हमसे यूँ मिलो।</div><div>हम अब भी वही हैं <span styl
<div><b><i>अंतरंग की बेला से,</i></b></div><div><i>खो सी गई तू दूर कही।</i></div><div><i>मैं अब भी इ
<div><b>रात का ये पहर,</b></div><div>कुछ बुदबुदा सा रहा</div><div>मन के एक कोने में।</div><div>जहाँ
<div><b style="font-size: 1em;">पहली दफा तुमको यूँ देखा</b></div><div><b style="font-size: 1em;">कुछ
<div>सुबह उठा कुछ याद आ गया,</div><div>जल्दी से उठ के मैं भाग आया।</div><div>परीक्षा का प्रश्न-पत्र
<div><b><i>बड़ी सुन्दर सी,सम्य सी</i></b></div><div><b><i>रूप एक पर अदाएं अनेक।</i></b></div><div><b>