यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपने मोहल्ले के गुंडे के आतंक के साये में जी रही थी । पूरे मोहल्ले में उस मवाली का खौफ था । उस लड़की ने इस खौफ पर कैसे विजय पाई ? इसे जानने के लिए पढिये यह कहानी "खौफ" ।
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शालू के मन में पचासों तरह के खयाल आ रहे थे । नींद कोसों दूर थी । रात के अंधेरे में जब नींद नहीं आती हो और ऐसे किसी गुंडे मवाली का ध्यान दिमाग में चल रहा हो तो कमरे में रखी हर चीज डरावनी लगती है । हवा
शालू कॉलेज में चली तो गई मगर उसका मन पढ़ने में बिल्कुल नहीं लग रहा था । जग्गा की भूखी निगाहें उसका पीछा कर रही थीं । कितनी भूखी लग रही थीं वे आंखें ? जैसे कि मौका मिलते ही उसे निगल जायेंगी । शालू डर के
सलोनी की कहानी सुनने के बाद शालू सकते में आ गई । कोई आदमी इतना नृशंस, हैवान भी हो सकता है, उसने सोचा नहीं था । शालू का डर अब और बढ़ गया था । उसने तय कर लिया कि अब वह दिव्या को लेने के लिए उसके घर नहीं