खुद में खोकर खुद को पाना
काम ज़रा सा भारी हैं
जिन नज़रो में देखी है हमने
सूरत अपनी वह नज़र तुम्हारी है
सारे ग़मो को हर देती है जो पल में
कुछ ऐसी मुस्कान तुम्हारी है
आँख मेरी लगने ही नहीं देती यादे तेरी
क्या मेरी नींद भी अब तुम्हारी है
तुझको ही सोचू और तुझको ही पाऊ
छाई मुझपे यह कैसी खुमारी है
हर पल बस मरते ही रहना
मोहब्बत ये कैसी गिरफ्तारी है
हर पल ढूंढें तुझको आँखे मेरी
क्यूँ तेरी सूरत इतनी प्यारी है
हर पल तेरी बाते करना खुद से
इस दिल पे यह कैसी ज़िम्मेदारी है
दुनिया चाहे अब कुछ भी समझे
हमको बस खबर हमारी है
तुझमे खोकर खुद को पाऊ
कुछ ऐसी जिद अब हमारी है
खुद में खोकर खुद को पाना
काम ज़रा सा भारी हैं.....