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ख्वाईश

23 अगस्त 2016

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जिन्दगी मे चाह कम हो तो किसी खुशी का जिन्दगी मोहताज नही अगर चाह आगया जिन्दगी मे तो ख्वाईशो से भर जायेगा जिन्दगी जो किसी दुखः के पाहाड से कम नही जिन्दगी
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वह न थे गुलाम किसी धर्म जाती के

14 अगस्त 2016
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कर गये आजाद देश मिट कर भगत सिंह आजाद जब रहे गये गुलाम हम लोग तो देश कहा हुआ आजाद कोई करे धर्म की गुलामी कोई करे भाषा की किसी को परवा नही देश के हालात की वह लड़े थे जब गोरो से तब वह देश छोड़ गये हम लड़ न पा रहे खुद के सोचो से तो कैसे होंगे देश का कल्याण वह न थे गुलाम किसी धर्म जाती के तभी तोभी  वह मिट क

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गरीब

23 अगस्त 2016
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किश्तो मे जिन्दगी जिता हुँ मै रोज भोजन के लिये नई मजिंल ढुढताँ हुँ पेट हार के ठहेर जाये इतना कमजोर नही वक्त मेरा भी है तेरे जैसा बस हालात नही मेरे तेरे जैसा फक् इन्सानो मे पैदा करता है इन्कम ही वरना मेरे घर की रोटी भी है तेरे घर जैसी मुझे बदनसी समझो या समझो गरीब अपनी जन्दगी है अपना नशीब

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ख्वाईश

23 अगस्त 2016
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जिन्दगी मे चाह कम हो तो किसी खुशी का जिन्दगी मोहताज नही अगर चाह आगया जिन्दगी मे तो ख्वाईशो से भर जायेगा जिन्दगी जो किसी दुखः के पाहाड से कम नही जिन्दगी

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Mohabbt

30 सितम्बर 2017
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डर लगता है इजहारे

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तडपता

30 सितम्बर 2017
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तडपता है दिल मेरा न जाने क्यो तेरी यादो मे सासो मे है तेरी खूशबू आँखो मे है तेरे नाम का गम जितना भी मेरे दिल ने चाहा तूझको तू उतनी ही मूझसे दूर गई न जिता हु न मरता हु न हसता हु न रोता हु जाने क्या हो गया है मुझको न कोई बन्धन है न कोई नाता फिर भी जाने क्या मेरे दिल का इरादा है एक नाम आवारा का दुनिया

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बेटी

30 सितम्बर 2017
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ऐसा यूग कब आयेगा जब बेटी को बेटा समझा जायेगा बेटे को कुल दीपक बेटी को कब तक बोझ समझेगे लोग क्या जन्म का पीडा बेटी बेटा मे अंन्तर करता अगर नही तो बेटी क्यो चढे डोली बेटे को वही घर वही गली

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वफा

2 अक्टूबर 2017
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हम बेवफाा कहे कैसे दिल वफा करता है उनसे यह प्यार होता है जिसे वह ददॅ सहेता है हस के तूम सितम करना यू ही हम मोहब्बत करेगे तूमसे

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ईश्वर के रूप अनेक

2 अक्टूबर 2017
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मन की पुजा तन कि परिक्षा नही बटा ईश्वर किसी का राम भी सही रहिम भी सही ईश्वर के है रूप कई क्यो रहे हम टूकडो मे जब ईश्वर है सभी के मन मे मन के भाव को दॅशाता है मुूखडा स्वारथीयो के चक्कर मे न कर समाज का टूकडा जिसकी जैसी भाव होगी मन मे उसे वैसे मिलेगे जग मे

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खुशी भरम

11 अक्टूबर 2017
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बजार गरम आदमी नरम अथॅ बिना हर खुशी भरम प्यास बहूत पानी है कम हर खुशी मे शामील है कॅज का गम खचॅ कि खाई इतनी बडी भर न पाता श्रोत कोई होता है हर घर मे गाली गलोच महगाई से चिडचिडा हो गया हर आदमी का सोच आमजन आपने घर मे कैसे दीप जलाएं मिठाई दिपावली मे कैसे अपने घर पर लाए हर बजार है महगाई से गरम अथॅ बिना आम

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हर सजा मुकम्मल होगा

23 मार्च 2018
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हर सजा मुकम्मल होगा जिसने भी गुनाहे अजिम छिप के किया होगा माना कोई खामोशी छुपा लेते है किसी का दर्दे बया होने से मगर जब छाते है सन्नाटे राहो मे तो एक आवाज निकलता है अन्तर आत्मा से जो मुश्किलें खड़ा कर देते है जिवन के ख्वाबों मे

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घर

23 मार्च 2018
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दरो दिवार को घर कहेना छोड दे ऐ उदासी घर तो वह है जहां मोहब्बत की धारा बहती हो एक ही छत के नीचे जिवन गुजार रहे हैं ऐसे लोग जैसे सफर में व्यवहार कर रहे हो झूठे मुस्कानो के बेडीयो मे जकडे हूँ है लोग अब तो किसी को साता के हस रहे है कहते है खुद को दर्द का साथी जो लोग वह धोखे भरी जिवन गुजार रहे है लेना न

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क्यों बनाया इन्सान

23 मार्च 2018
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क्यों बनाया इन्सान ऐ बनाने वाले सब कुछ तो बाट लिया अपना हक लगाके रहे गये फिर भी प्यासे दरिया के दर पे आके कुछ न मिला उनको एक नफरत के शिवा तुझे क्या मिला हम सबको ऐ खुदा इन्सान बनाके मन्दिरों मे मस्जिदों मे यह सिस झुकाते तु भी हस्ता होगा यह देख के नजारे क्योंकि तुझको भी बाट चुके है जात धर्म बना के

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राम

25 मार्च 2018
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राम तेरे चरणो मे यह सिस सदा झुक जाते जानके तुम्हारा आत्म गथा गुन सदा गाते सत्यस्वरुप ईश्वर हो तुम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते मै कभी न दिखा तुमे तुम सभी को अपनाते राम तेरे इस जग मे अब तेरा राज्य कैसे आये जब जात धर्म मे शासक बटे तो अब वानर भालू को कोई कैसे अपनाये राम शब्द आसान लगे मरग कोई राम जिवन भी

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प्रेम

25 मार्च 2018
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ईबादत मीनारों मे करो या मन्दिरों मे रूहे आराम मिलते है तो पेट भरने से हर सकुन मिलेगे बस माशुमो मे करो जतन उनके खिलने मे प्रेम सा वातावरण दिखेंगे ईश्वर के नजारो मे मतभेद भरे मिलेगे बस इन्सानी विचारों मे लाख जरिया तलाश ले तु जिने के साहारो मे मगर प्रेम सत्य के शिवा कुछ नही अन्त के नजारो मे

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दिले चाह

25 मार्च 2018
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दिले चाह जरूरी है मगर दिले नादानी कहा तक है मुमकिन एक वफा कर के तो देख बेवफाई तुम्हें इल्जाम लगेगे जरूर कोसेगे मन तुम्हें जब फुर्सत के पल आराम करोगे भागोगे कब तक काह पे तुम जब फर्ज का एहसास तुम्हें परेशान करेगे किसी का दिल तोडना गुनाह हो समझते तो दिल्लगी करने का ख्याल ही क्यो हो रखते दिलो की चाह तो

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तर्क फर्क

26 मार्च 2018
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सब्र कर ले ऐ उदासी कब्र तेरे तैयार पडे है एक दिन वहा तक जाना है सबको क्यो किसी को परेशान करे करो न कुछ भी ऐसा यहा पर की तन अन्तिम यात्रा के लिए इन्तजार करे गलत कुछ भी नही है यह गलतफहमी है लोगो गलत तो बस अन्धकार करे सही रहेता है उस दीपक की तरह जो जहां जाये रोशनी करे गलत सही की जो न पहचान करे वह खुद क

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वजह

28 मार्च 2018
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किसी के दर्द का वजह कोई क्यो बने कोई हर समय आहे भरे ऐसा काम भला कोई क्यो करे लिए है जन्म इस धरती पर तो बे वजह नही जैसे चलते है राहो पे तो बिन मंजिल के नही हसने कि चाह हो तो खुद ही पे हस लिया कर न दे किसी को भी दर्द किसी से दर्द मिलने पर यह दर्द का सिलसिला तो जन्म से लग जाता है अन्त क्षण तक तो यही सा

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दिल

29 मार्च 2018
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दिल तो दिल है ऐ उदासी किसी को दिल मे बसाना तो कोई बात नही मगर किसी का दिल बदल जाये तो होगे बेवफाई कहते है जिसे दिल वह तो है एक राजे समुन्दर जिसका जन न सका कोई गहराई यह चाहत तो है दिल की रजामंदी कुछ न मिलेगा ऐ जमाना तुझे जान के जैसे मिटते है शमां किसी के चाह मे सब कुछ जान के वैसे ही तडपता है दिल किसी

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मोहब्बत

14 दिसम्बर 2018
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मोहब्बत

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मोहब्बत

14 दिसम्बर 2018
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मोहब्बत

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मोहब्बत

14 दिसम्बर 2018
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मोहब्बत

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दिवाना

16 दिसम्बर 2018
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दिवाना हुं मै तेरा दिदार करुगा तेरे सितम के बाद भी तुझसे प्यार करुगारुठ जायेगी मेरी हरकतो से तो क्यामै लाचार हुं दिल से दिल का ही सुनूगादिवाना हुं मै तेरा दिदार करुगामाना मै नही तेरे ख्वाबो के अधीकरो मेनफरत हुं मै अगर तेरे लियेतो लाती होगी ख्यालो मे मुझेदिवाना हुं मै तेरे दिदार करुगातेरे सितम के बाद

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फना

18 नवम्बर 2021
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<div>इस जमाने की चालाकिया हमे मंजूर कहा साहेब दिल फना हो जाए अपने नादानीयो मे मगरुर हो क</div>

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