किसी के दर्द का वजह कोई क्यो बने कोई हर समय आहे भरे ऐसा काम भला कोई क्यो करे लिए है जन्म इस धरती पर तो बे वजह नही जैसे चलते है राहो पे तो बिन मंजिल के नही हसने कि चाह हो तो खुद ही पे हस लिया कर न दे किसी को भी दर्द किसी से दर्द मिलने पर यह दर्द का सिलसिला तो जन्म से लग जाता है अन्त क्षण तक तो यही साथ निभाता है तो अपना दर्द क्यो किसी को दे रहा है सोच जरा अन्त मे तेरा क्या है जन्म कर्म का यह भेद बडा है इसे जाना वही जो हस कर हर दर्द बस सहा है