अभी हाल में ही मैंने बिहार विधानसभा के आम चुनाव और मध्य प्रदेश के उपचुनावों के संबंध में यह लिखा था कि ‘‘अंकगणित की जीत‘‘ के साथ ही उससे उत्पन्न ‘‘परसेप्शन‘‘ को जीतने पर ही ‘‘जीत पूर्ण‘‘ कहलाती है। किसान आंदोलन को देखते हुए परसेप्शन का उक्त सिद्धांत संसद एवं सरकार द्वारा लागू अधिनियम एवं लि
ग़ज़ल221 1222 221 1222काफ़िया-आररदीफ़- नहीं होगाअपमान किसानों का स्वीकार नही होगा।इक बार किया तुमने हर बार नही होगा।ये बन्द करो नाटक जो खेल रहे हो तुम,गर वार किया तुमने इकरार नहीं होगा।दिन रात परिश्रम कर खाद्यान्न उगाता मैं,इस बार हुआ फिर से बेकार नहीं होगा।धोखे से छला तुमने हर बार किसानों को,इस बार अन्
विधा-लावड़ी महंगाई की इस दुनिया में, दुःखित कृषक है बेचाराबदल गयी ये दुनियां देखो, बदला है जीवन सारा उठे अंधेरे प्रात सवेरे डोर हाँथ ले बैलों कीफसल उगाने की चाहत मेंचाल लगा दी खेतों कीन धूप से वो विचलित होतेन छांव की चाहत भरतेकरे परिश्रम कठिन हमेशासदा सभी ऋतुएँ सहतेकठिन परस्थिति में किसान तो, कर लेता
भारत कृषि प्रधान देश है हमलोगों ने बचपन से अब तक पढ़ा और सुना है जो हक़ीक़त भी है! कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार रहा है और अब भी है।जिस देश में 57% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पे निर्भर हो उस देश में किसानों का किया हाल है. वो जग ज़ाहिर है क्योंकि उनके साथ ना मीडिया है ना सरकार औ