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किसान

20 सितम्बर 2022

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मैं एक किसान हूँ सदियों से पिसता रहा हूँ 

सब कुछ झेलता रहा हूँ गरीबी लिखी मेरे भाग्य में बस, 

उसी का एक निशान हूँ, मैं एक किसान हूँ। 

राज महलों से क्या मतलब मुझे सुखों की कैसी तलब 

प्रकृति से जुड़ावरा उसी पर निर्भर खेल मेरा धरती पुत्र कहलवाने वाला 

सर्दी गर्मी झेलने वाला सीधा सा इंसान हूँ, मैं एक किसान हूँ। 

नियती मेरा मजाक उड़ाती भरी झोली खाली कर जाती 

थक हार कर मैं बैठता उम्मीद का दामन कभी न छोड़ता 

मेरे सहारे लोग बढ़ते हम धरती पुत्र कभी न थकते 

अमीर अपने कोष भरते नेता अपने वोट बढ़ाते पर मेरे भाग्य का मैं खुद ही निदान हूँ मैं एक किसान हूँ। 

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