shabd-logo

कोरोना काल

22 फरवरी 2022

16 बार देखा गया 16

अच्छी जिन्दगी के लिए घर को छोडा

जिने के लिए फिर घर की ओर दौड़ा

बात आसमान छूने की करता था

अब अपने दरवाजे भी नी खोल सकता

ना जाने कितनों को गिराया था

फरेबी का जाल बुन के आगे आया था

फिर पड़ी गले मे कुकर्मो की लगाम 

आखिर कार घर मे गिर आया धड़ाम 

कितना हनन किया धरती का

सार सार सब ले लिया मही का

आधार हुआ खोखला लालच से

तो क्रुद्ध क्यू ना हो पृथ्वी मानव से

अब पछताना  बिल्कुल व्यर्थ

अब सोचने का क्या अर्थ

चाहिए अगर अब भी प्रकृति की छांव

तो बनना होगा  हर शहर को गांव


                                 ••••••••पिनाकी

ROHIT PALIWAL की अन्य किताबें

किताब पढ़िए