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अच्छी जिन्दगी के लिए घर को छोडा जिने के लिए फिर घर की ओर दौड़ा बात आसमान छूने की करता था अब अपने दरवाजे भी नी खोल सकता ना जाने कितनों को गिराया था फरेबी का जाल बुन के आगे आया था फिर पड़ी गले मे कुकर्मो